भारत ने लिखी है लोकतांत्रिक विकास की अद्भुत गाथा, सेंट्रल हॉल में बोले राष्ट्रपति
संविधान की 72 वीं वर्षगांठ के मौके पर संसद के केन्द्रीय कक्ष में आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में संविधान दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने...
संविधान की 72 वीं वर्षगांठ के मौके पर संसद के केन्द्रीय कक्ष में आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में संविधान दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि 72 साल पहले इसी सेंट्रल हॉल में हमारे संविधान निर्माताओं ने इस दस्तावेज को भारत के सुनहरे भविष्य के लिए स्वीकार किया था। करीब सात दशक की छोटी सी समयावधि में ही भारत के लोगों ने लोकतांत्रिक विकास की अद्भुत गाथा लिख दी है। इसने पूरी दुनिया को चकित कर दिया है। उन्होंने कहाकि मैं यह मानता हूं कि भारत की यह विकास यात्रा, हमारे संविधान के बल पर ही आगे बढ़ती रही है।
72 years ago, in this Central Hall, the framers of our Constitution had adopted this document for a bright future of independent India. I believe that the development journey of India has been progressing on the strength of our Constitution: President Kovind at the Parliament pic.twitter.com/TsnOlzPOu0
— ANI (@ANI) November 26, 2021
संविधान निर्माताओं को किया नमन
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि आजादी के समय, देश के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को यदि ध्यान में रखा जाए तो भारतीय लोकतंत्र मानव इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा सकता है। इस उपलब्धि के लिए हम संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता और जन-गण-मन की बुद्धिमत्ता को नमन करते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान में वे सभी उदात्त आदर्श समाहित हैं जिनके लिए दुनिया के लोग भारत की ओर सम्मान और आशा भरी दृष्टि से देखते रहे हैं। उन्होंने कहाकि ‘हम भारत के लोग’ इन शब्दों से आरम्भ होने वाले हमारे संविधान से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत का संविधान लोगों की आकांक्षाओं की सामूहिक अभिव्यक्ति है।
हमसे अन्य लोकतंत्रों ने बहुत कुछ सीखा
राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे देश में न केवल महिलाओं को आरम्भ से ही मताधिकार प्रदान किया गया बल्कि कई महिलाएं संविधान सभा की सदस्य थीं और उन्होंने संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया। पश्चिम के कुछ विद्वान कहते थे कि भारत में वयस्क मताधिकार की व्यवस्था विफल हो जाएगी। परन्तु यह प्रयोग न केवल सफल रहा, अपितु समय के साथ और मजबूत हुआ है। यहां तक कि अन्य लोकतंत्रों ने भी इससे बहुत कुछ सीखा है। राष्ट्रपति ने कहाकि मुझे प्रसन्नता है कि आज संविधान सभा की चर्चाओं तथा संविधान के कैलग्रिाफ्ड वर्जन और अद्यतन संविधान के डिजिटल संस्करण जारी कर दिए गए हैं। इस प्रकार, टेक्नॉलॉजी की सहायता से, ये सभी अमूल्य दस्तावेज़ सबके लिए सुलभ हो गए हैं।
संविधान की प्रस्तावना का हुआ पाठ
संबोधन से पहले राष्ट्रपति कोविंद ने संविधान बनाने वाली संविधान सभा की चर्चाओं के डिजिटल संस्करण को भी जारी किया। उन्होंने संविधान की मूल प्रति का डिजिटल संस्करण अद्यतन संविधान भी जारी किया। इसके अलावा उन्होंने संविधान पर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी पोर्टल का शुभारंभ भी किया। संबोधन समाप्त होने के बाद उन्होंने संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया और केन्द्रीय कक्ष में मौजूद सभी लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। इसके अलावा एक विशेष पोर्टल के जरिये देश भर में अपनी अपनी जगह से करोड़ों लोगों ने संविधान सभा की प्रस्तावना का पाठ किया। इसके लिए सभी सरकारी प्रतष्ठिानों में विशेष इंतजाम किये गये थे।