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राष्ट्रपति मुर्मू ने खारिज की लश्कर के आतंकी की दया याचिका, लाल किले पर किया था हमला

सुप्रीम कोर्ट के 2022 के आदेश में कहा गया था, “अपीलकर्ता-आरोपी मोहम्मद आरिफ उर्फ ​​अशफाक एक पाकिस्तानी नागरिक था और उसने अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था।”

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली।Thu, 13 June 2024 06:33 AM
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ ​​अशफाक की दया याचिका खारिज कर दी है, जिसने दिल्ली के लाल किले पर हमला किया था। आपको बता दें राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने कार्यकाल में दूसरी बार दया याचिका खारिज की है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन नवंबर 2022 को आरिफ की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी और मामले में उसे दी गई मौत की सजा को बरकरार रखा था। विशेषज्ञों का हालांकि मानना ​​है कि मौत की सजा पाया दोषी अब भी संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत लंबे समय तक हुई देरी के आधार पर अपनी सजा में कमी के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।

अधिकारियों ने राष्ट्रपति सचिवालय के 29 मई के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि 15 मई को आरिफ की दया याचिका प्राप्त हुई थी, जिसे 27 मई को खारिज कर दिया गया।

उच्चतम न्यायालय ने मौत की सजा बरकरार रखते हुए कहा कि आरिफ के पक्ष में कोई भी ऐसा साक्ष्य नहीं था जिससे उसके अपराध की गंभीरता कम होती हो। शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि लाल किले पर हमला देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए सीधा खतरा था।

आपको बता दें कि आतंकवादियों ने 22 दिसंबर 2000 को लाल किला परिसर में तैनात 7 राजपूताना राइफल्स की यूनिट पर गोलीबारी की थी। इस हमले में सेना के तीन जवान मारे गए थे। पाकिस्तानी नागरिक और प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के सदस्य आरिफ को हमले के चार दिन बाद दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।

शीर्ष अदालत के 2022 के आदेश में कहा गया था, “अपीलकर्ता-आरोपी मोहम्मद आरिफ उर्फ ​​अशफाक एक पाकिस्तानी नागरिक था और उसने अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था।”

आरिफ को अन्य आतंकवादियों के साथ मिलकर हमले की साजिश रचने का दोषी पाया गया और अधीनस्थ अदालत ने अक्टूबर 2005 में उसे मौत की सजा सुनाई। दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने बाद की अपीलों में इस फैसले को बरकरार रखा।

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