हाथरस कांड वाले 'भोले बाबा' अखिलेश यादव और राहुल गांधी तक चुप, सिर्फ मायावती ने उठाए सवाल
हाथरस में मची भगदड़ में 123 लोगों की जान चली गई थी। पुलिस ने अपनी कार्रवाई में भोले बाबा के कई सेवादारों और सुरक्षाकर्मियों को हिरासत में ले लिया है। लेकिन अभी तक बाबा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 123 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती और लेफ्ट के नेताओं को छोड़कर ज्यादातर नेताओं ने स्वयंभू बाबा के खिलाफ कुछ भी नहीं बोलने का फैसला लिया है। नेताओं द्वारा लगातार मांग की जा रही है कि जवाबदेही तय की जाए कि आखिर किसकी गलती थी, लेकिन बाबा की जिम्मेदारी पर कोई बात नहीं कर रहा है। राज्य के मुख्य विपक्षी नेता अखिलेश यादव भी बाबा को लेकर चुप ही हैं। हाथरस में हुई इस भयावह घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।
राहुल-अखिलेश भी रहे बाबा पर शांत
घटना के बाद घटनास्थलों पर नेताओं के हाईप्रोफाइल दौरों और आरोप -प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया, लेकिन ज्यादातर पार्टियों ने बाबा के खिलाफ कुछ भी बोलने से परहेज ही किया। राहुल गांधी और अखिलेश यादव सहित उनकी पार्टियों के नेताओं ने राज्य प्रशासन को दोषी ठहराते हुए मृतकों के परिजनों के लिए बेहतर मुआवजे की मांग की। उन्होंने बाबा पर कुछ भी बोले बिना दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की अपनी मांग को सामान्य शब्दों तक ही सीमित रखा।
सत्ता पर बैठी भाजपा के नेताओं ने विपक्ष पर इस घटना पर राजनीति करने का आरोप लगाया, लेकिन बाबा पर ज्यादा कुछ बात नहीं की। वहीं अधिकांश क्षेत्रीय पार्टियां भी बाबा पर चुप ही रहीं। बाबाओं को लेकर यह रुख उन पार्टियों में विशेष रूप से देखा जाता है जो अंधविश्वास के कारण बाबाओं के सामने झुकते हैं और इन बाबाओं के सहारे अपने वोट बैंक को संभालना चाहते हैं।
मायावती खुलकर आईं सामने
अन्य राजनीतिक पार्टियों के विपरीत बसपा सुप्रीमो मायावती ने बाबा और ऐसे अन्य बाबाओं पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हाथरस मामले में बाबा भोले और जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे अन्य बाबाओं के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। हाथरस के भोले बाबा जैसे कई बाबाओं के अंधविश्वास और पाखंड से गुमराह होकर गरीबों और दलितों को अपना दुख और नहीं बढ़ाना चाहिए।
सीपीआई-एम के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि यह एक गंभीर बात है कि पिछले की वर्षों से अतार्किक विचारों और अंधविश्वास को अनियंत्रित रूप से फैलने दिया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी भयावह घटनाएं हो रही हैं। राज्य और केंद्र को ऐसे बाबाओं की सभाओं और धार्मिक सभाओं को नियंत्रित करने वाले मानदंड और नियम तय करने होंगे।