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कैसे 8 भारतीयों की फांसी रिहाई में बदली, इस्लामिक मुल्क को सरकार ने यूं किया नरम

कतर की जेल से आठ भारतीयों को रिहा कर दिया गया है। यह भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता है। भारत लौटने के बाद इन पूर्वनौसैनिकों ने पीएम मोदी को शुक्रिया कहा है।

Ankit Ojha हिन्दुस्तान टाइम्स, नई दिल्लीMon, 12 Feb 2024 09:29 AM
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कतर में दोहा की कोर्ट ने भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया है। दोषमुक्त होने के बाद सात लोग भारत भी पहुंच चुके हैं। इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है। इन सभी को जासूसी के आरोप में कतर की अदालत ने मौत की सजा सुना दी थी। हालांकि भारत सरकार के दखल के बाद स्थिति एकदम बदल गई। दोहा से भारत पहुंचे इन पूर्व नौसैनिकों ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी बदौलत ही वे ये दिन देख पा रहे हैं। बात दें कि इस्लामिक मुल्क कतर के नरम पड़ने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी भूमिका बताई जा रही थी। बताया जा रहा है कि दुबई में कतर के शेख से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने यह मुद्दा उठाया था। वहीं भारत सरकार ने कानूनी तौर पर भारतीयों की रिहाई के लिए अपील करने में देर नहीं की। 

कौन हैं ये 8 पूर्व नौसैनिक
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि ये आठ पूर्व नौसैनिक कतर के खिलाफ जासूसी करने के आरोप में छोटे से देश की जेल में बंद थे। कतर की अदालत ने मौत की सजा सुना दी थी जिसके बाद रिहाई बेहद मुश्किल हो गई थी। हालांकि बीते साल दिसंबर में दोहा की अदालत ने इनकी मौत की सजा पर रोक लगा दी थी। भारत ने कूटनीतिक चतुराई के तहत कोर्ट में अपील की थी। 

ये आठों भारतीय पहले नौसेना में काम करते थे। इसके बाद वे दोहा के अल दहरा ग्लोबल टेक्नॉलॉजीज में काम करने लगे। यह एक प्राइवेट कंपनी है जो कि कतर की सेना और सुरक्षा एजेंसियों को ट्रेनिंग देती है। वहां गिरफ्तार किए गए इन पूर्व नौसैनिकों के नाम हैं, कैप्टेन नवतेज गिल, सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, अमित नागपाल, एसके गुप्ता, बीके वर्मा, सुगुनकर पकाला और सेलर रागेश। इन्हें अगस्त 2022 में हिरासत में लिया गया था। 

इनमें से कैप्टेन नवतेज गिल को राष्ट्रपति से गोल्ड मेडल भी मिल चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक पूर्णेंदु तिवारी को 12 साल कैद की सजा सुनाई थी। रागेश को तीन साल, अन्य चार को 15 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। दो पूर्व नौसैनिकों को 10 साल जेल की सजा दी गई थी। पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाए जाने पर भारत ने पहले हैरानी जताई थी। इन नौसैनिकों को परिवारों ने प्रधानमंत्री मोदी से दखल देने का आग्रह किया था। 

तत्काल ऐक्टिव हुआ विदेश मंत्रालय

इसके बाद भारत ने कतर कोर्ट में मौत की सजा के खिलाफ अपील की। 28 दिसंबर को कोर्ट की कोर्ट ऑफ अपील ने मौत की सजा पर रोक लगा दी। कतर के कोर्ट के इस फैसले को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है।  बीते साल 1 दिसंबर को दुबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के शेख तमीम बिन हमाद अल थानी से दुबाई में मुलाकात की थी। इसके बाद पीएम मोदी ने कहा था कि उन्होंने कतर में रहने वाले भारतीयों के बारे में चर्चा की। इस मुलाकात के बाद बड़ा बदलाव देखने को मिला।

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