भारत में 2005 के मुकाबले 2016 में दोगुनी शराब पीने लगे लोग
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति शराब की खपत 2005 से 2016 के बीच दोगुना हो गई है। यहां प्रति व्यक्ति सालाना 5.7 लीटर शराब पी जाती...
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति शराब की खपत 2005 से 2016 के बीच दोगुना हो गई है। यहां प्रति व्यक्ति सालाना 5.7 लीटर शराब पी जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, डब्ल्यूएचओ क्षेत्रों के आधे क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति शराब की कुल खपत (15+ वर्ष) में वृद्धि होने की उम्मीद है और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि की उम्मीद है। केवल भारत में ही 2.2 लीटर वृद्धि की उम्मीद है। भारत इस क्षेत्र में कुल जनसंख्या के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। इंडोनेशिया और थाईलैंड में भी कुछ वृद्धि होने की उम्मीद है।
- 2025 तक चीन में शुद्ध शराब की प्रति व्यक्ति खपत में 0.9 लीटर वृद्धि की उम्मीद
-2000- 2005 के बीच के स्थिर चरण के बाद वैश्विक खपत में वृद्धि हुई
- 2005 में 5.5 लीटर प्रति व्यक्ति खपत विश्व स्तर पर थी
- 2010 में 6.4 हो गई और 2016 में यह 6.4 लीटर के स्तर पर बनी हुई है
अल्कोहल का हानिकारक उपयोग दुनियाभर में लोगों के स्वास्थ्य के लिए प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। यह मातृ-शिशु स्वास्थ्य, संक्रामक रोग (एचआईवी, वायरल, हेपेटाइटिस, तपेदिक), गैर-संचारी बीमारियां और मानसिक स्वास्थ्य समेत सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के कई स्वास्थ्य-संबंधी लक्ष्यों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है। 2016 में अल्कोहल के हानिकारक इस्तेमाल से दुनियाभर में 30 लाख लोगों (सभी तरह की मौतों का 5.3 प्रतिशत) की मौत हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब का हानिकारक इस्तेमाल 200 से अधिक बीमारियों और चोटों की स्थितियों में एक कारण रहा है।
भारत में खपत
2005 2.4 लीटर
2016 5.7 लीटर
पुरुष 4.2 लीटर
महिला 1.5 लीटर