यह सजा-ए-मौत से कम नहीं; आर्टिकल 370 पर SC के फैसले के बाद महबूबा मुफ्ती का बयान, आजाद और उमर भी बोले
आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कश्मीर के नेताओं ने बयान जारी किए हैं। महबूबा मुफ्ती ने इस फैसले की सजा-ए-मौत से तुलना की। उमर अब्दुल्ला और गुलाम नबी ने भी रिएक्शन दिए हैं।
अनुच्छेद 370 की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना लिया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र के 370 पर फैसले को बरकरार रखा और कहा कि अब इस पर चर्चा करना मुनासिब नहीं क्योंकि जब जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना था, तभी जम्मू कश्मीर ने अपनी संप्रभुता खो दी थी। जम्मू कश्मीर का उदाहरण देते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रपति को किसी भी राज्य पर फैसला लेने का हक है और उन्होंने लिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जहां पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने खुशी जताई है तो जम्मू कश्मीर से भी रिएक्शन आने शुरू हो गए हैं। उमर अब्दुल्ला और गुलाम नबी आजाद समेत कई नेताओं ने इस फैसले पर निराशा जताई और कहा कि वे लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर विवादित वीडियो पोस्ट कर इस फैसले की सजा-ए-मौत से तुलना की है।
11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा। इस फैसले पर पीएम नरेंद्र मोदी औऱ गृह मंत्री अमित शाह ने खुशी जाहिर की। पीएम मोदी ने ट्वीट में नया जम्मू कश्मीर का स्लोगन देते हुए इस फैसले को ऐतिहासिक बताया। वहीं, जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निराशाजनक बताया, लेकिन कहा कि संघर्ष जारी रहेगा।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने फैसले को निराशाजनक बताया और कहा कि वे लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। उमर ने एक्स पर लिखा, "निराश हूं लेकिन हतोत्साहित नहीं। संघर्ष जारी रहेगा। भाजपा को यहां तक पहुंचने में दशकों लग गए। हम भी लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं।
आजाद क्या बोले
पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (डीपीएपी) के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निराशाजनक बताया। आजाद ने कहा, "सर्वसम्मति से फैसला सुनने के बाद मैं निराश हूं। मैं पहले दिन से कहता था कि संसद या सुप्रीम कोर्ट इस पर फैसला ले सकते हैं। केंद्र सरकार ने इसे रद्द करवा दिया, इसलिए तीन-चार बार मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी उम्मीद खत्म हो गई है। महीनों और आज के फैसले से जम्मू-कश्मीर के लोग खुश नहीं हैं।''
मुफ्ती ने कहा- हमारे विरोधी चाहते हैं हम हिम्मत छोड़ दें
महबूबा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करते हुए कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया, निसंदेह यह निराशाजनक है लेकिन, हमे निराश होने की जरूरत नहीं है। हमारे विरोधी चाहते हैं कि हम निराश हो जाएं और पीछे हट जाएं लेकिन, जम्मू कश्मीर के लोग इतने कमजोर नहीं हैं। यह हमारी हार नहीं है, यह आइडिया ऑफ इंडिया की हार है। उनकी हार है। जिस गंगा-जमुनी तहजीब के साथ कश्मीर के मुसलमानों ने पाकिस्तान को दरकिनार करके गांधी के मुल्क के साथ, हिन्दू भाईयों के साथ हाथ मिलाया, ये उनकी हार है।
मुफ्ती ने कहा कि सरकार ने जिस गैर कानूनी कार्य को संसद में किया, आज उसे जो जायज करार दिया गया। यह सिर्फ जम्मू कश्मीर के लिए ही नहीं पूरे भारत के लिए सजा-ए-मौत से कम नहीं है।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने कहा कि न्याय फिर से जम्मू-कश्मीर के लोगों से दूर हो गया है। उन्होंने X पर कहा, "अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निराशाजनक है। न्याय एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के लोगों से दूर है। अनुच्छेद 370 भले ही कानूनी तौर पर खत्म कर दिया गया हो, लेकिन यह हमेशा हमारी राजनीतिक आकांक्षाओं का हिस्सा रहेगा।"