राम का खाते हैं तो राम का गाते क्यों नहीं, नेमप्लेट विवाद पर क्या बोले धीरेंद्र शास्त्री
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, 'कोर्ट ने बहुत अच्छा फैसला दिया है। ढाबे को लेकर उन्होंने कहा कि शुद्ध है या अशुद्ध... इसकी पहचान होनी चाहिए। इसे लेकर लोगों को जागरूक होने की जरूरत है।'
कांवड़ यात्रा को लेकर नेमप्लेट वाले विवाद पर बागेश्वर धाम के महंत पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बयान आया है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर न्यायालय ने फैसला दे दिया है, इसलिए किसी भी तरह की टिप्पणी करना अपराध होगा। उन्होंने कहा, 'अदालत का आदेश मानना हम सभी के लिए बहुत आवश्यक है। मगर, सत्य बाहर रहना चाहिए और यही हमारे अंदर का भाव है।' बागेश्वर बाबा ने कहा कि अगर हम राम का खाते हैं तो राम का गाते क्यों नहीं? आखिर इसमें अपराध क्या है? पेट का पालन करने वाला ही राजा होता है।
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, 'कोर्ट ने बहुत अच्छा फैसला दिया है। ढाबे को लेकर उन्होंने कहा कि शुद्ध है या अशुद्ध... इसकी पहचान होनी चाहिए। इसे लेकर लोगों को जागरूक होने की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि नेमप्लेट का अर्थ कुछ और नहीं है, इसका मतलब ही जागृति है। बागेश्वर धाम के महंत ने कहा, 'कुछ छोटे-छोटे वीडियो हमारे सामने आए हैं जिसमें देखा गया कि मानसिक रूप से विक्षिप्त लोग कहीं मूत्र डाल रहे हैं तो कहीं कुछ फेंक रहे हैं। यह बड़े दुर्भाग्य की बात है और इसे लेकर कठोर कानून होना चाहिए।'
कांवड़ यात्रा में हुड़दंग को लेकर क्या बोले धीरेंद्र शास्त्री
कांवड़ यात्रा के दौरान हुड़दंग से जुड़े सवाल पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हिंदू हमेशा अहिंसावादी रहा है। हिंदू हिंसक नहीं है। हिंदू का परिचय ही अहिंसात्मक जीवन जीना है। उन्होंने कहा, 'जो लोग ऐसा कर रहे हैं वो न तो शिव के भक्त हैं और न ही सनातन के हैं। वे हिंदू भी नहीं हैं क्योंकि हिंदुओं में हुड़दंग नहीं होती। विचित्र स्थिति के लोग हुड़दंग करते हैं। हिंदू शांत होता है।' बागेश्वर के महंत ने कहा कि हमारे यहां तो बस होली की हुड़दंग होती है और यह ऐसे होता है कि दुश्मन भी बुरा नहीं मानता। इस दौरान दुश्मन भी मित्र बन जाता है। इसलिए जो कांवड़िए आ रहे हैं उनसे मैं कहना चाहता हूं कि हिंदू कभी किसी जीव को भी पीड़ा नहीं पहुंचाता है।