केंद्र सरकार से न डरते, न NDA की पॉलिसी मानेंगे; शरणार्थियों को वापस भेजने पर मिजोरम के मुख्यमंत्री की दो टूक
मिजोरम के सीएम जोरमथांगा ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हमारी सरकार को निर्देश दिया था कि म्यांमार के सभी शरणार्थियों को वापस भेज दिया जाए, लेकिन हमने ऐसा करने से मना कर दिया।
मिजोरम के मुख्यमंत्री (Mizoram Chief Minister) और सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के प्रमुख जोरमथांगा (Zoramthanga) ने सोमवार को कहा कि भले ही वह केंद्र में सत्तारूढ़ NDA के पार्टनर हों लेकिन वह एनडीए की हर नीति मानने को बाध्य नहीं हैं। सीएम जोरमथांगा ने कहा कि उनकी राज्य सरकार और एमएनएफ पार्टी केंद्र की एनडीए सरकार से नहीं डरती है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने म्यांमार से शरणार्थियों को वापस भेजने से इनकार कर दिया है, जो म्यांमार में जुंटा के सैन्य शासन संभालने के बाद यहां आ गए थे।
पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधन
राजधानी आइजॉल में एमएनएफ पार्टी कार्यालय (ह्नम रन) में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जोरमथंगा ने कहा, “भारत में राजनीतिक दल भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए या हाल ही में कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया के नाम पर बने गठबंधन में शामिल हो रहे हैं, और एमएनएफ एनडीए का गठबंधन भागीदार है। हालांकि हम एनडीए के साथ हैं लेकिन हम एनडीए की हरेक नीति और उद्देश्यों से सहमत नहीं हैं।"
वापस नहीं भेजेंगे शरणार्थी- जोरमथांगा
जोरमथांगा ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हमारी सरकार को निर्देश दिया था कि म्यांमार के सभी शरणार्थियों को वापस भेज दिया जाए, लेकिन हमने ऐसा करने से मना कर दिया। मैंने विधानसभा को बताया है कि हम उन्हें (म्यांमार के शरणार्थियों को) वापस नहीं भेज रहे हैं, बल्कि उन्हें अपने यहां आश्रय और खाना देंगे।
UCC का भी विरोध
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएनएफ के अलावा किसी अन्य पार्टी ने एनडीए की बैठकों में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का कड़ा विरोध नहीं किया है क्योंकि उनमें से अधिकांश केवल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए जाते रहे हैं। बता दें कि जोरमथांगा ने 4 जुलाई को विधि आयोग को चिट्ठी लिखकर समान नागरिक संहिता को देश के सभी नस्ली अल्पसंख्यक और खासकर मिजो लोगों के हितों के खिलाफ बताया था।
उन्होंने कहा, "मैंने केंद्र को बताया कि 1971 में पश्चिम बंगाल में शरण लेने वाले पूर्वी पाकिस्तान के लाखों शरणार्थियों का भारत सरकार ने ख्याल रखा था और मैंने केंद्र सरकार पर कड़ा दबाव बनाया है।" मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी एमएनएफ तभी तक एनडीए के कार्यक्रमों और नीतियों का साथ देगी, जबतक वे जनता और खासकर देश के नस्ली अल्पसंख्यकों के हित में होंगी।
दिसंबर तक विधानसभा चुनाव
उन्होंने कहा कि केंद्र में सरकार बदलने पर एमएनएफ कभी अपना रुख नहीं बदलता। पार्टी ने प्रस्तावित यूसीसी का कड़ा विरोध किया क्योंकि एमएनएफ ने ऐसी किसी भी चीज़ का विरोध किया जो उसके आदर्श वाक्य - "भगवान और देश के लिए" के लिए हानिकारक हो। बता दें कि मिजोरम में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं।
मिजोरम में 36,000 शरणार्थी
म्यांमार में फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के कारण म्यांमार से आए लगभग 35,000 शरणार्थियों को मिजोरम पनाह दे रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों में सेना की कार्रवाई के कारण 1,000 से अधिक आदिवासियों को अपने गांव छोड़कर मिजोरम में बतौर शरणार्थी मिजोरम में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इस बीच,मिजोरम सरकार ने गृह और आपदा प्रबंधन मंत्री लालचमलियाना की अध्यक्षता में हिंसाग्रस्त मणिपुर से विस्थापित होकर मिजोरम में आए व्यक्तियों (आईडीपी) पर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।