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नो स्विगी, नो जोमैटो; मां के हाथ का बना खाना ही दें, बच्चों की परवरिश पर हाई कोर्ट की दो टूक

पोर्नोग्राफी से संबंधित अपराध के एक मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने माता-पिता को सलाह दी कि वे स्विगी और ज़ोमैटो के माध्यम से रेस्तरां से खाना ऑर्डर करने से बचें।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, तिरुअनंतपुरमWed, 13 Sep 2023 04:55 AM
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केरल हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में मां के हाथ के बने खाने की तारीफ करते हुए कहा कि अगर मां-बाप को अपने बच्चों को गलत आदतों से दूर रखना है तो उन्हें स्विगी और जोमैटो से ऑर्डर कर मंगाया खाना नहीं बल्कि मां के हाथों का बना खाना ही खाने दें। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि खाली समय में बच्चों को मैदान में खेलने दें। इससे बच्चों में मोबाइल की लत नहीं पड़ेगी।

हाई कोर्ट की पीठ ने कहा, "स्विगी' और 'ज़ोमैटो' के माध्यम से रेस्तरां से खाना खरीदने के बजाय, बच्चों को उनकी माँ द्वारा बनाए गए स्वादिष्ट भोजन का स्वाद लेने दें और बच्चों को उस समय खेल के मैदान में खेलने दें और जब वे वापस आएं तो उन्हें माँ की मंत्रमुग्ध कर देने वाले भोजन  की खुशबू लेने दें।"

पोर्नोग्राफी से संबंधित अपराध के एक मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने माता-पिता को सलाह दी कि वे स्विगी और ज़ोमैटो के माध्यम से रेस्तरां से खाना ऑर्डर करने से बचें। इसके साथ ही कोर्ट ने  मामले की सुनवाई करते हुए उस व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक आरोपों को खारिज कर दिया, जिसे पुलिस ने सड़क किनारे खड़े होकर अपने मोबाइल पर पोर्न देखने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि निजी तौर पर, दूसरों को साझा किए बिना या प्रदर्शित किए बिना पोर्नोग्राफ़ी देखना भारतीय दंड संहिता की धारा 292 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।

जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने भले ही मोबाइल पर एकांत में पोर्न वीडियो देखने को निजता का अधिकार करार दिया लेकिन उन्होंने इसके साथ ही सभी माता-पिता को अपने बच्चों पर निगरानी रखने का भी सुझाव दिया। उन्होंने नाबालिग बच्चों को बिना कड़ी निगरानी के मोबाइल फोन देने से जुड़े संभावित खतरों के बारे में एक चेतावनी नोट भी जारी किया। जज ने कहा कि मोबाइल पर गलत वीडियो देखने से बच्चे बर्बाद हो सकते हैं। इसलिए बेहतर है कि उन्हें मोबाइल की आदत से बचाएं।

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