12 करोड़ खर्च, फिर भी तीन सालों से इस संस्थान में नहीं लिया एक भी विद्यार्थी ने एडमिशन; क्या वजह?
नागालैंड में करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए कॉलेजों की कुर्सियां धूल फांक रहे हैं। 2021 में शुरू किए गए यहां के पॉलिटेक्निक कॉलेज में पिछले तीन सालों में एक भी छात्र ने एडमिशन नहीं लिया।
नागालैंड में करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए पॉलिटेक्निक कॉलेज की कुर्सियां धूल फांक रही है। राज्य में नौ सरकारी पॉलिटेक्निक हैं जो अलग-अलग तरह के डिप्लोमा कोर्स ऑफ़र करते हैं। लेकिन उनमें से एक संस्थान में लगातार तीन सालों से कोई एडमिशन नहीं हुआ है। गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक पेरेन (GPP) इंटीरियर डिज़ाइन में शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट और डिप्लोमा प्रोग्राम ऑफ़र करता है। इसकी शुरुआत 2021 में हुई थी और इसे छात्रों के लिए नामांकन खोला गया था। हालांकि आज तक यहां कोई भी छात्र नहीं आया है।
इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि यहां फैकल्टी और स्टाफ़ समेत सब कुछ है और कॉलेज चलने के लिए तैयार है लेकिन छात्रों की कमी है। जब हिंदुस्तान टाइम्स ने संस्थान का मुआयना किया तो पाया कि इस कॉलेज चार ब्लॉक हैं जिनमें एक बॉयज़ हॉस्टल, एकेडमिक ब्लॉक, प्रिंसिपल क्वार्टर और दो स्टाफ़ क्वार्टर शामिल हैं।
विद्यार्थियों के ना आने की आखिर क्या है वजह?
पड़ताल करने पर पता चला कि यहां लड़कियों के लिए कोई छात्रावास नहीं है। इसके अलावा नजदीकी जलुकी कस्बे से जीपीपी तक जाने वाली सड़क की हालत इतनी खराब है कि बरसात के दिनों में संस्थान में आने वाले कर्मचारियों को अपनी गाड़ी जलुकी में छोड़कर करीब 35 मिनट पैदल चलना पड़ता है। नाम न बताने की शर्त पर एक जानकार सूत्र ने बताया कि परिसर में एक रिंग वेल को छोड़कर पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं है। वहां के पानी में भी आयरन की मात्रा ज्यादा है और यह पीने योग्य नहीं है। पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना के तीन साल बाद कुछ महीने पहले ही बिजली जुड़ी है। परिसर में ब्रॉडबैंड सेवा नहीं है और मोबाइल इंटरनेट का रिसेप्शन बहुत खराब है।
जीपीपी में प्रिंसिपल और फैकल्टी सहित करीब 15 कर्मचारी कार्यरत हैं। छात्रों के ना होने के कारण कर्मचारी रोटेशन के आधार पर छोटे-छोटे समूहों में संस्थान में उपस्थित रहते हैं। इस साल राज्य तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित डिप्लोमा प्रवेश परीक्षा (डीईई) के माध्यम से तीन छात्रों का चयन इंटीरियर डिजाइनिंग में तीन वर्षीय डिप्लोमा कार्यक्रम में प्रवेश के लिए किया गया। तीनों में से केवल एक छात्र ही प्रवेश के लिए आया लेकिन बाद में उसका मन बदल गया और उसने सीट नहीं ली। सूत्रों ने बताया कि पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना से पहले पाठ्यक्रम का कोई उचित सर्वे नहीं किया गया था।
प्रति कॉलेज 12 करोड़ रुपए से ज्यादा का हुआ था आवंटन
जीपीपी की स्थापना कौशल विकास योजना के तहत पॉलिटेक्निक मिशन के तहत हुई थी। इसके अंतर्गत पॉलिटेक्निक कॉलेज स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों को केंद्र से वित्तीय सहायता दी गई थी। इस योजना के तहत उन जिलों में नए पॉलिटेक्निक की स्थापना की जानी है जिनमें कोई सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त पॉलिटेक्निक नहीं है। योजना के तहत राज्यों को एक पॉलिटेक्निक कॉलेज के लिए 12.3 करोड़ रुपये दिए गए थे।