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कहां से आया 75000 लीटर पानी, बेंगलुरु में जल संकट के बीच IPL आयोजकों पर भड़का NGT

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बेंगलुरु में पानी के बढ़ते संकट के बीच आईपीएल मुकाबलों के दौरान आयोजकों से हर मैच के पहले 75 हजार लीटर ट्रीटेड पानी के इस्तेमाल का ब्योरा मांगा है।

Himanshu Tiwari एएनआई, बेंगलुरुFri, 5 April 2024 08:37 PM
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बीते कुछ दिनों से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु पानी के संकट से जूझ रही है। वहीं आईपीएल मैच के दौरान बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हर मैच से पहले ग्राउड पर 75 हजार लीटर ट्रीटेड पानी का सप्लाई किया जा रहा है। अब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने शहर में पानी के बढ़ते संकट के बीच कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) और अन्य संबंधित राज्य अधिकारियों को यहां इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) मुकाबलों के दौरान इस्तेमाल किये जाने वाले पानी की जानकारी का ब्यौरा देने को कहा है।

एनजीटी ने मांगा आईपीएल आयोजकों से जवाब
एनजीटी ने राज्य क्रिकेट संघ के अलावा बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) और कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) से भी पानी के स्रोत और इसकी मात्रा के बारे में दो मई तक जानकारी सौंपने को कहा है। केएससीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शुभेंदू घोष ने कहा, ‘‘हमने नोटिस देख लिया है और वैसे स्टेडियम एनजीटी के नियमों का पालन करता है। इसलिये हमें मुकाबलों के आयोजित होने का भरोसा है। ’’

हर मैच से पहले 75 हजार लीटर ट्रीटेड पानी का होता है इस्तेमाल
आईपीएल मुकाबलों के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम को ‘ट्रीट’ (किसी प्रक्रिया से स्वच्छ किया गया) पानी की सप्लाई मिलने की रिपोर्ट आने के बाद एनजीटी ने स्वत: संज्ञान लिया। इस स्टेडियम में तीन मैच पहले ही खेले जा चुके हैं और पता लगा है कि इन मुकाबलों में प्रत्येक के लिए 75,000 लीटर ‘ट्रीट’ पानी का इस्तेमाल किया गया। स्टेडियम में चार और आईपीएल मैच 15 अप्रैल, चार मई, 12 मई और 18 मई को खेले जाने हैं। 

इस सिलसिले में एनजीटी चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और डाक्टर ए सेंथिल वे (विशेषज्ञ सदस्य) ने मामला दर्ज कर लिया है। वहीं कर्नाटक सरकार ने पौधों में पानी देने, वाहनों को धोने तथा अन्य कई कामों के लिए पीने के पानी के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध लगाया हुआ है। केएससीए अधिकारियों ने कहा कि वे पिच या आउटफील्ड पर पानी देने के लिए न तो पीने के पानी और न ही भूजल का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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