हार के बाद नवजोत सिंह सिद्धू की 18 साल की सियासी साख पर बट्टा! फिर कॉमेंट्री शुरू करने के कयास
पंजाब में कांग्रेस की हार के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि सिद्धू दोबारा कॉमेडी शो या स्पोर्ट्स कॉमेंट्री का रुख कर...
पंजाब में कांग्रेस की हार के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि सिद्धू दोबारा कॉमेडी शो या स्पोर्ट्स कॉमेंट्री का रुख कर सकते हैं। 10 मार्च को विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आए और सत्ता संभाल रही कांग्रेस 18 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर खिसक गई। इतना ही नहीं अमृतसर पूर्व से चुनावी मैदान में उतरे सिद्धू भी करीब 2 दशक पुरानी अपनी सीट नहीं बचा सके। हालांकि, पार्टी की हार के कई कारण गिनाए जा रहे हैं। बीते साल पार्टी में उथल पुथल के अहम किरदार माने जाने वाले सिद्धू का सियासी तारा फीका पड़ता नजर आ रहा है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ सियासी पारी की शुरुआत साल 2004 में की थी।
कमजोर होता सिद्धू का दावा
अमृतसर पूर्व सीट पर जीवन ज्योत कौर के हाथों हार का सामना करने के बाद पार्टी आलाकमान की नजरों में सिद्धू की सेलेब्रिटी वाली छवि को भी नुकसान हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खादुर साहिब से कांग्रेस सांसद जसबीर गिल हार की जिम्मेदार पार्टी नेताओं के अहंकार को दोषी मान रहे हैं। वहीं, पूर्व कैबिनेट मंत्री तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा सिद्धू को अनुशासनहीनता के लिए जिम्मेदार मानते हैं।
क्या सिद्धू ने अध्यक्ष बनने के बाद गंवाया समय?
रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ टकराव और अपने पसंद के सहयोगियों और नौकरशाहों के साथ व्यवस्था चलाने की इच्छा के चलते सिद्धू को लेकर इकाई में असंतोष पैदा हुआ। अध्यक्ष के रूप में सिद्धू का कार्यकाल 9 महीनों का रहा। इस दौरान उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को बाहर करने में समय गंवाया। इसके बाद सीएम बनाए गए चरणजीत सिंह चन्नी के साथ तनाव में समय गुजर गया। साथ ही वे मीडिया के सामने भले ही इनकार करते रहे, लेकिन खुद को मिस्टर फिक्सिट के रूप में दिखाना जारी रखा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री हरचरण सिंह बरार के सलाहकार रहे राजनीतिक विश्लेषक मनोहर लाल शर्मा बताते हैं, 'सियासत में कोई भविष्य नहीं बचने से सिद्धू शो बिजनेस में वापसी कर सकते हैं या क्रिकेट कॉमेंट्री दोबारा शुरू कर सकते हैं। हो सकता है कि कांग्रेस उन्हें किसी अहम पद पर रखने के लिए तैयार न हो। वहीं, अन्य पार्टियां भी इस स्थिति में उन्हें शामिल करने की स्थिति में नहीं हैं।'
उन्होंने बताया, 'यह कहना सही नहीं है कि कांग्रेस सिद्धू के कारण हारी। वह हारी, क्योंकि उसके कार्यकर्ताओं ने पार्टी को फंसा दिया और वे नाखुश भी हो गए थे, क्योंकि कुछ नेता उत्तराधिकारी के रूप में अपने रिश्तेदारों या बच्चों को लेकर आ गए थे।'