मुस्लिम बेटी, हिंदू बेटा; मां के अंतिम संस्कार पर क्यों हुआ झगड़ा
आपको बता दें कि महिला की बेटी की उम्र 60 साल है। उसका कहना है कि मां ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। उसकी अंतिम ईच्छा थी कि उसके शव को दफनाया जाए, जैसा कि मुस्लिमों की मौत पर किया जाता है।
हैदराबाद के मदनपेट में मंगलवार को मां की मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार करने के लिए हिंदू बेटा और मुस्लिम बेटी आपस में बहस करने लगे। विवाद इतना गहरा गया कि लोग घर के आसपास इकट्ठा होने लगे। स्थानीय पुलिस को इस मामले में दखल देनी पड़ी। तथ्यों और कागजातों को देखने के बाद पुलिस अंतिम निर्णय पर पहुंचा और महिला का अंतिम संस्कार किया गया।
दराब जंग कॉलोनी में एक 95 साल की महिला के निधन के बाद उसके बेटे और बेटी अंतिम संस्कार करने के लिए झगड़ने लगी। महिला का बेटा और उसके पोते हिंदू हैं। वे अपनी मां का अंतिम संस्कार हिंदू रिवाज से करना चाहते थे। वहीं करीब 20 साल पहले शादी के बाद मुस्लिम बनी बेटी शव के दफनाना चाहती थी। वह बीते 12 साल से अपनी मां की देखरेख कर रही थी। उसका दावा था कि उसकी मां का भी धर्मांतरण हो गया था।
आपको बता दें कि महिला की बेटी की उम्र 60 साल है। उसका कहना है कि मां ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। उसकी अंतिम ईच्छा थी कि उसके शव को दफनाया जाए, जैसा कि मुस्लिमों की मौत पर किया जाता है। बेटी ने कहा, 'मेरी मां 12 साल से मेरे साथ रह रही थी। मैंने उसकी अच्छी से देखभाल की। मैंने पांच लाख रुपये खर्च कर मां का ऑपरेशन कराया था। उस समय किसी ने मेरी मदद नहीं की थी।'
विवाद गहराता देख दोनों धर्मों को मानने वाले लोग इकट्ठा होने लगे। पुलिस को रात के समय इलाके में बलों की तैनाती करनी पड़ गई। डीसीपी रुपेश ने किसी भी तरह के तनाव की बात को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह पारिवारिक विवाद था। पुलिस ने इसे सुलझा लिया है।
बेटी की मांग को देखते हुए उसके घर पर अंतिम नावज पढ़ी गई। इसके बाद शव को बेटे को सौंप दिया गया। इससे पहले रात 11:45 से लेकर 1:30 बजे तक पुलिस दोनों पक्षों से बात करती रही। 2:30 बजे के करीब यह निर्षकर्ष निकाला कि बेटी के घर नमाज पढ़ने के बाद शव को बेटे को सौंप दिया जाए और वे अपनी ईच्छा के मुताबिक शव का अंतिम संस्कार करें।
पुलिस का कहना है, ''महिला की बेटी ने कुछ वीडियो और कागजात पेश करते हुए दावा किया कि उसकी मां ने इसी साल जनवरी महीने में इस्लाम धर्म अपना लिया था। हमने कागजातों का सत्यापन किया। इसके बाद शव को बेटे को सौंप दिया गया।''
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