'ऐसे कैसे हम बनेंगे विश्वगुरु', DU में लेक्चर कैंसल होने पर भड़के राजद नेता मनोज झा
राजद नेता ने कहा कि मैं संसद में, सड़क पर बोल सकता हूं और अखबारों में भी लिख सकता हूं। उन्होंने सवाल किया, 'ऐसी क्या वजह है कि मैं अपनी यूनिवर्सिटी के टीचर्स को संबोधित नहीं कर सकता।'

दिल्ली यूनिवर्सिटी में फैकल्टी मेंबर्स को संबोधित करने के लिए राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा को दिया गया निमंत्रण वापस ले लिया गया। इस पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता झा ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के भारत को विश्व गुरु बनाने के नारे पर कटाक्ष किया। मनोज झा ने कहा, 'क्या इसी तरह हम विश्वगुरु बनेंगे? विश्वविद्यालयों को कुएं में बदल कर?' मालूम हो कि RJD लीडर डीयू के डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वर्क में प्रोफेसर हैं।
18 अगस्त को DU के सेंटर फॉर प्रोफेशनल डेवलपमेंट इन हायर एजुकेशन की ओर मनोझ झा को 4 सितंबर को कॉलेज और यूनिवर्सिटी टीचर्स को वर्चुअली संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था। सेंटर की डायरेक्टर प्रोफेसर गीता सिंह की ओर से इसे लेकर निमंत्रण पत्र जारी किया गया था। इसके अनुसार, झा से सोशल वर्क एंड सोशल साइंस में रीफ्रेशर कोर्स के लिए रिसोर्स पर्सन के तौर पर जुड़ने की अपील की गई थी। हालांकि, बाद में यह इनविटेशन लेटर वापस ले लिया गया।
यह बनी-बनाई प्रथा का घोर उल्लंघन: RJD नेता
मनोज झा ने कहा कि उन्हें अब दूसरा मेल मिला है, जिसमें बताया गया कि कुछ अपरिहार्य कारणों से लेक्चर रद्द कर दिया गया है। यह मेल भी सेंटर के निदेशक की ओर से भेजा गया। वीडियो मैसेज जारी करके झा ने कहा कि लेक्चर रद्द करने के कारणों को वे लोग ही अच्छे से बता सकते हैं जिन्होंने यह फैसला लिया। उन्होंने कहा, 'मैं इतना कह सकता हूं कि यह जो कुछ भी हो रहा है वो स्थापित प्रथा का घोर उल्लंघन है। यह मेरा विश्वविद्यालय है। मैं यहां पढ़ाता हूं। मैंने यहीं से पढ़ाई-लिखाई की और अब यहां पढ़ा भी रहा हूं।'
यूनिवर्सिटी को मरते नहीं देख सकते: झा
राजद नेता ने कहा कि मैं संसद में, सड़क पर बोल सकता हूं और अखबारों में भी लिख सकता हूं। उन्होंने सवाल किया, 'ऐसी क्या वजह है कि मैं अपनी यूनिवर्सिटी के टीचर्स को संबोधित नहीं कर सकता। आखिर किस बात का डर है?' गौरतलब है कि मनोज झा संसद में अपने शानदार भाषणों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखूंगा और इस ओर उनका ध्यान दिलाऊंगा। मैं उन्हें दिखाना चाहता हूं कि उनकी नाक के नीचे क्या हो रहा है। अगर आपको ऐसी हरकतें मंजूर नहीं हैं, तो फिर इस पर लगाम लगाएं। हम किसी विश्वविद्यालय को मरते हुए नहीं देख सकते।'
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