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किसान आंदोलन: मंदसौर से पहले नंदीग्राम, सिंगुर, भट्टा-पारसौल और टप्पल में भी मारे गए अन्नदाता

मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के पिपल्यामंडी में किसान आंदोलन के उग्र होने के कारण पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और कथित तौर पर गोलियां भी चलायीं। गोलियां लगने के कारण 6...

लाइव हिन्दुस्तान टीम नई दिल्लीWed, 7 June 2017 02:14 PM
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मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के पिपल्यामंडी में किसान आंदोलन के उग्र होने के कारण पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और कथित तौर पर गोलियां भी चलायीं। गोलियां लगने के कारण 6 किसानों की मौत हो गई और दो घायल हो गए। 

इन घटनाओं के बीच पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच पिपल्यामंडी और आसपास के इलाकों में जमकर हिंसक घटनाएं और उपद्रव हुआ। 

आंदोलनकारी किसान कर्ज माफ करने, खेती के लिए बिना ब्याज कर्ज देने, किसानों के लिए पेंशन योजना और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार फसलों की कीमतें लागत से 50 फीसदी अधिक देने की मांग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में किसानों का 36359 करोड रुपये का कर्ज माफ करने के योगी सरकार के फैसले के बाद से अन्य राज्यों में भी किसान कर्ज माफी के लिए आंदोलन कर रहे हैं। 

मंदसौर की घटना से पहले भी किसान आंदोलनों के दौरान पुलिस ​की गोलियों के शिकार हुए हैं। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं।

1. उत्तर प्रदेश: भट्टा-पारसौल और टप्पल में किसानों की गई जानें 

14 अगस्त 2010 को अलीगढ़ के टप्पल में किसानों और पुलिस के बीच खूनी संघर्ष हुआ। करीब 18 गांवों के 20 हज़ार से ज्यादा किसान मथुरा से अलीगढ़ तक बने एक्सप्रेस वे पर बढ़े मुआवजे के लिए कई दिन से जमे हुए थे। 14 अगस्त की शाम को वहां पुलिस के साथ हुई झड़प में पीएसी के एक सूबेदार और तीन किसानों की मौत हो गई। सैंकड़ों सरकारी और गैर सरकारी वाहन आग के हवाले कर दिए गए। 

7 मई 2011 को नोएडा के भट्टा-पारसौल गांव में जमीन अधिग्रहण के विरोध में पुलिस और किसानों के बीच हिंसक संघर्ष में दो किसान और दो पुलिसकर्मियों की जान चली गई। तत्कालीन डीएम दीपक अग्रवाल के पैर में गोली लगी, जिसके बाद पुलिस ने किसानों को घरों से निकाल-निकाल कर लाठियां बरसाईं। वहां साठ से ज्यादा किसान गंभीर घायल हुए और दर्जनों पर गंभीर मुकदमे दर्ज किए गए।

2. झारखंड: हजारीबाग जिले में एनटीपीसी के भूमि अधिग्रहण का विरोध, पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत

अक्टूबर 2016 में किसान कांग्रेस विधायक निर्मला देवी के नेतृत्व में हजारीबाग जिले के बड़कागांव इलाके में नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) के प्रोजेक्ट के लिए हुए भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे। इस दौरान पुलिस निर्मला देवी को गिरफ्तार कर ले जाने की कोशिश करने लगी तो किसानों ने पुलिस को रोका। इसी बीच पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गई है, जबकि 15 घायल हो गए। 

3. महाराष्ट्र: गन्ने की कीमत को लेकर किसानों का आंदोलन, बवाल में एक मरा
महाराष्ट्र के सांगली में गन्ने की कीमत को लेकर किसानों ने अक्टूबर 2012 में आंदोलन किया था। आंदोलन के नेता सांसद राजू शेट्टी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में पुणे की येरवडा जेल भेज दिया गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद आंदोलन हिंसक हो गया। इस दौराल पुलिस फायरिंग में एक किसान की मौत हो गई। राज्य सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दे दिया।

4. पश्चिम बंगाल: नंदीग्राम और सिंगुर में पुलिस फायरिंग में 28 किसानों की मौत

  • नंदीग्राम- नवंबर 2007 में पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में इंडोनेशिया की एक कंपनी सालिम ग्रुप के स्पेशल इकॉनोमिक जोन के लिए जमीन अधिग्रहण के विवाद में पुलिस के साथ हुए संघर्ष में 14 किसानों की जान चली गई।
  • सिंगुर- पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा के नैनो कार प्लांट के विरोध में किसानों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में 14 किसानों की मौत हुई। इस विरोध के कारण टाटा के नैनो प्लांट को गुजरात के आणंद में स्थानांतरित करना पड़ा।

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