लखीमपुर कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की सुप्रीम कोर्ट से बढ़ी राहत, मां की सेवा के लिए मौका
अदालत ने लखीमपुर कांड के आरोपी आशीष मिश्रा को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती उनकी मां की देखभाल के लिए जाने की परमिशन दी है। इसके अलावा उनकी बेटी का भी पैर का इलाज चल रहा है।

लखीमपुर कांड में किसानों पर गाड़ी चढ़ाने के आरोपी आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जाने की परमिशन दे दी है। इससे पहले उन्हें मिली अंतरिम जमानत के तहत दिल्ली-एनसीआर और यूपी जाने से रोका गया था। अब अदालत ने आशीष मिश्रा को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती उनकी मां की देखभाल के लिए जाने की परमिशन दी है। इसके अलावा उनकी बेटी का भी पैर का इलाज चल रहा है। वह अपनी मां और बेटी की देखभाल के लिए दिल्ली में रहेंगे, लेकिन इस दौरान मीडिया से बात करने की परमिशन नहीं होगी। इसके अलावा अब भी उन्हें यूपी जाने की परमिशन नहीं होगी। आशीष मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं।
अंतरिम जमानत की शर्त में संशोधन की मांग करने वाली मिश्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने उसे मामले के संबंध में किसी भी सार्वजनिक समारोह में भाग लेने और मीडिया को संबोधित करने से मना किया है। कथित तौर पर मिश्रा की मां नई दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि उसकी बेटी को पैर में आई परेशानी की वजह से इलाज की जरूरत है।
क्या था लखीमपुर खीरी कांड
3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी जिले में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान हिंसा भड़क गई जिससे तिकुनिया में आठ लोगों की मौत हो गई।
यूपी पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा बैठा था। इसके बाद, एसयूवी चला रहे व्यक्ति और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर गुस्साए किसानों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी। एफआईआर में कहा गया है कि हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई।
आशीष को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दिन भर की पूछताछ के बाद 9 अक्टूबर 2021 को गिरफ्तार किया गया था। 15 फरवरी 2022 को हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत आदेश रद्द किए जाने के बाद 24 अप्रैल 2022 को मिश्रा को आत्मसमर्पण करना पड़ा। इस साल जनवरी में जस्टिस सूर्यकांत और जेके माहेश्वरी की पीठ ने मिश्रा को आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत दी और कहा कि शीर्ष अदालत मामले में मुकदमे की निगरानी करेगी।