अमित शाह से उपेंद्र कुशवाहा की बंद कमरे में पौन घंटे हुई बात, एनडीए में लौटने की अटकलें तेज
अमित शाह और उपेंद्र कुशवाहा के बीच दिल्ली में बंद कमरे में 45 मिनट बात हुई। बीजेपी नेताओं ने कहा कि राजनीति और राजनीतिक परिस्थितियों पर बात हुई। उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए में लौटने की चर्चा फिर शुरू।
जनता दल (यू) से इस्तीफा देने और नई पार्टी बनाने के दो सप्ताह बाद उपेंद्र कुशवाहा की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से गुरुवार रात को दिल्ली में बहुप्रतीक्षित मुलाकात हुई। उसके बाद से यह अटकलें लगने लगी हैं कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल एनडीए का हिस्सा बनने वाली है। बंद कमरे में दोनों के बीच करीब पौन घंटे मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों पर बात हुई। दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान साथ में बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल भी मौजूद थे।
जायसवाल ने कहा कि यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी। उन्होंने कुशवाहा के जेडी (यू) से नाता तोड़ने के बाद भी तुरंत उनसे मुलाकात की थी और कहा था, "मैं कुशवाहा के साहसिक कदम की तारीफ करता हूं। उन्होंने घोषणा की है कि वह अपनी विधान परिषद सीट छोड़ देंगे। बहुत कम लोगों में अपने विश्वास और सिद्धांतों के लिए भत्तों का त्याग करने का साहस होता है।"
इस मीटिंग के बारे में एक भाजपा नेता ने कहा, "जब दो अलग-अलग राजनीतिक दलों के दो नेता 45 मिनट तक बात करते हैं, तो यह केवल शिष्टाचार मुलाकात नहीं हो सकती है। निश्चित रूप से राजनीति और राजनीतिक समीकरणों को लेकर चर्चा हुई है।" भाजपा सूत्रों ने कहा कि कुशवाहा, शाह के पटना दौरे के दौरान उनसे मिलने वाले थे लेकिन किन्हीं कारणों से उस समय मुलाकात नहीं हो सकी। पूरे घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले भाजपा नेताओं ने कहा कि बैठक महत्व रखती है क्योंकि पार्टी छोटे दलों के जरिए सोशल इंजीनियरिंग को चाक-चौबंद करने के प्रयास में लगी है।
नीतीश का लव-कुश आधार खिसकाना चाहती है भाजपा
भाजपा ने हाल ही में कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को अपना प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है और अगर उपेंद्र कुशवाहा a target='_blank' href='https://www.livehindustan.com/topic/nda?utm_source=LHStory&utm_medium=Auto_Backlink_Topic'> एनडीए में वापस आते हैं तो यह उसके लव-कुश (कुर्मी-कुशवाहा) के आधार को और मजबूत करेगा, जो कि अभी तक मोटे तौर पर नीतीश कुमार के साथ था।
जेडी (यू) से इस्तीफा देने के बाद से ही उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए के पाले में लौटने की चर्चा जोर पकड़ रही थी। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष को एकजुट करने के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयासों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि देश में एक दर्जन से अधिक पीएम उम्मीदवार हैं और उनमें से कोई भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की स्थिति में नहीं है।
चिराग और सहनी को भी पाले में लाने की कोशिश
जेडी (यू) से गठबंधन टूटने के बाद से ही भाजपा अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए कुशवाहा के अलावा अपने पूर्व सहयोगियों वीआईपी के मुकेश सहनी और लोजपा (रामविलास) के चिराग पासवान के के संपर्क में है। इसका पहला संकेत तब मिला जब कुशवाहा को पिछले सप्ताह वाई-प्लस सुरक्षा मिली, जबकि मंत्री साहनी को फरवरी में ही वाई-प्लस सुरक्षा मिल गई थी। इससे पहले जनवरी में जमुई के सांसद और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख पासवान की सुरक्षा को वाई-प्लस श्रेणी से बढ़ाकर जेड कर दिया गया था।
चिराग पासवान ने पिछले दिसंबर में कुढ़नी उपचुनाव में भाजपा के लिए प्रचार भी किया था। साहनी ने भी पिछले कुछ दिनों से भाजपा को लेकर कोई तल्ख बयान नहीं दिया है। चिराग अनुसूचित जाति (एससी) पासवान समुदाय के नेता हैं, कुशवाहा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कुशवाहा समुदाय से हैं और साहनी अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) मल्लाह समुदाय से हैं। ये तीनों समुदायों राज्य की आबादी का 12 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हैं।
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