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कोणार्क, नालंदा, ऋग्वेद... जी20 समिट में कैसे दुनिया तक पहुंची भारत की समृद्ध विरासत

शाम के स्वागत समारोह की पृष्ठभूमि में नालंदा था, तो सुबह में भारत का कोणार्क चक्र फोकस में रहा। प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले जी20 नेताओं का अभिवादन किया।

Niteesh Kumar भाषा, नई दिल्लीSun, 10 Sep 2023 03:40 PM
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13वीं सदी के कोणार्क मंदिर से लेकर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय तक जी20 शिखर सम्मेलन में भारत की समृद्ध स्थापत्य विरासत का हिस्सा बने। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार रात 'भारत मंडपम' में डिनर के लिए मेहमानों का स्वागत किया, जिसमें विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और अन्य विश्व नेताओं व उनके जीवनसाथियों ने हिस्सा लिया। यहां यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल-प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की प्रतिकृति प्रमुखता से नजर आई। मालूम हो कि नालंदा यूनिवर्सिटी दुनिया के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक है। मेहमानों का अभिवादन करते समय PM मोदी को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित जी20 के कुछ नेताओं को विश्वविद्यालय का महत्व बताते देखा गया।

अधिकारियों ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय विविधता, योग्यता, विचार की स्वतंत्रता, सामूहिक शासन, स्वायत्तता और ज्ञान साझाकरण का प्रतिनिधित्व करता है। ये सभी लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा कि नालंदा भारत की उन्नत शैक्षिक खोज की स्थाई भावना और सामंजस्यपूर्ण विश्व समुदाय के निर्माण की प्रतिबद्धता का जीता जागता प्रमाण है। भारत के जी20 प्रेसीडेंसी थीम 'वसुधैव कुटुंबकम' का भी तो यही संदेश रहा।

कोणार्क का सूर्य मंदिर यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल
शाम के स्वागत समारोह की पृष्ठभूमि में नालंदा था, तो सुबह में भारत का कोणार्क चक्र फोकस में रहा। प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले जी20 नेताओं का अभिवादन किया तो पृष्ठभूमि में ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर की एक सुंदर छवि दिखी। 13वीं शताब्दी में निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है। इसका निर्माण राजा नरसिम्हादेव प्रथम के शासनकाल में किया गया था। 24 कड़ियों वाला कोणार्क चक्र भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज में समाहित है। यह भारत की प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है।

यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार, बंगाल की खाड़ी के तट पर उगते सूरज की किरणों से नहाया हुआ कोणार्क का मंदिर सूर्य देवता के रथ का प्रतिनिधित्व करता है। इसके 24 पहियों को प्रतीकात्मक डिजाइनों से सजाया गया है और इसे छह घोड़े खींचते हैं। अधिकारियों ने कहा कि कोणार्क चक्र की घूमती गति, समय, 'कालचक्र' के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है। यह लोकतंत्र के पहिए के शक्तिशाली प्रतीक के रूप में कार्य करता है जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

देश की सांस्कृतिक विरासत का जश्न
'मायगॉवइंडिया' ने शनिवार को सोशल मीडिया एक्स पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विश्व नेताओं के स्वागत अभिनंदन का एक वीडियो पोस्ट किया। इसका टाइटल था 'जी20 के नेताओं का अभिवादन- कोणार्क का कालचक्र केंद्र में आया।' भारत मंडपम में भी कई कलाकृतियां लगाई गई थीं, जिसमें 'सूर्य द्वार' प्रमुख था। इसमें सूर्य देव के घोड़ों को भी दर्शाया गया है। संस्कृति मंत्रालय ने भारत की सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ अन्य जी20 सदस्य देशों के लिए शिखर सम्मेलन कक्ष के सामने स्थापित 'संस्कृति गलियारे' में सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाया गया है। विशेष रूप से बड़े अवसर के लिए बनाए गए इस अस्थायी 'कला गलियारे' में कलाकृतियों को प्रत्यक्ष और डिजिटल रूपों में प्रदर्शित किया गया।

पाणिनी के व्याकरण ग्रंथ 'अष्टाध्यायी', ऋग्वेद शिलालेख और मध्य प्रदेश में भीमभेटका गुफा चित्रों की डिजिटल छवियां (जो लगभग 30000 साल पुरानी हैं) को भी प्रदर्शित किया गया। संस्कृति मंत्रालय ने शनिवार को वीडियो के साथ एक्स पर पोस्ट किया, 'जब भारत ऐतिहासिक जी20 शिखर सम्मेलन के लिए विश्व नेताओं का स्वागत करने की तैयारी कर रहा है, भारत मंडपम में सांस्कृतिक गलियारा वैश्विक विरासत के प्रमाण और वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास के उत्सव के रूप में खड़ा है। इस उल्लेखनीय प्रदर्शन का गवाह बनें।' मंत्रालय ने एक अन्य पोस्ट में नटराज की 27 फुट ऊंची प्रतिमा सहित परिसर के विभिन्न कला तत्वों को साझा किया। इसमें कहा गया, 'यह महामंडपम हमारी महान सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासतों को दर्शाता है।'

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