कौन हैं नेता सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार, जानें अद्वैत गडनायक से जुड़ी दिलचस्प बातें
दिल्ली के इंडिया गेट पर महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 23 जनवरी को प्रतिमा के होलोग्राम का अनावरण करेंगे। नेशनल...
दिल्ली के इंडिया गेट पर महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 23 जनवरी को प्रतिमा के होलोग्राम का अनावरण करेंगे। नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के महानिदेशक मूर्तिकार अद्वैत गडनायक नेताजी की प्रस्तावित प्रतिमा को तराशेंगे।
पीएम मोदी शनिवार शाम 6 बजे प्रतिमा के डिजिटल वर्जन का अनावरण करेंगे। प्रतिमा को उसी स्थान पर रखा जाएगा जहां 1968 तक जॉर्ज पंचम की प्रतिमा थी। बता दें कि अद्वैत गडनायक एक प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं और उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि पीएम मोदी ने उन्हें इस बड़ी जिम्मेदारी के लिए चुना। न्होंने कहा कि स्थापित होने के बाद प्रतिमा रायसीना हिल्स से भी दिखाई देगी। ऐसे में चलिए आपको मूर्तिकार अद्वैत गडनायक से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं।
1- अद्वैत गडनायक का जन्म और पालन-पोषण ओडिशा के ढेंकनाल जिले के नेउलपोई गांव में हुआ था।
2- अद्वैत गडनायक ने बीके कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स से कला की शिक्षा हासिल की और दिल्ली आर्ट कॉलेज से मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की।
3- गडनायक लंदन के स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स में कला की पढ़ाई भी करते हैं। प्रसिद्ध मूर्तिकार को कई पुरस्कार मिले- 1993 में राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पुरस्कार, 1999 में ओडिशा ललित कला अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
4- मूर्तिकार की सबसे प्रसिद्ध परियोजनाओं में राजघाट में गांधी की दांडी मार्च प्रतिमा शामिल है। उनकी रचनाओं को लंदन में भी जगह मिली है।
5- 2016 में वो नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के डायरेक्टर जेनरेशन बने। इससे पहले वो भुवनेश्वर के केआईआईटी विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ स्कल्पचर का नेतृत्व कर रहे थे। विश्वविद्यालय परिसर में उन्होंने एक मूर्तिकार पार्क बनाया।
बताते चलें कि नेताजी की प्रतिमा को तराशने के लिए तेलंगाना से काला जेड ग्रेनाइट पत्थर लाया जाएगा। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने पहले ही प्रतिमा का डिजाइन तैयार कर लिया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रतिमा को एक छत्र के नीचे स्थापित किया जाएगा,जहां पहले किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा को 1968 में हटाए जाने तक रखा गया था।
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