Hindi Newsदेश न्यूज़kartarpur corridor is not the only way to enter in india from pakistan here are five more ways

करतारपुर कॉरिडोर : इन पांच रास्तों से भी पाकिस्तान से आ सकते हैं भारत

करतारपुर गलियारे का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और भाजपा में होड़ मची हुई है। नेतागण व्यक्तिगत तौर पर भी इसका श्रेय लेने पर आमादा हैं। इस कारण सोमवार को गलियारे का शिलान्यास कार्यक्रम शुरू होने से पहले...

डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर) एजेंसी Tue, 27 Nov 2018 10:13 AM
share Share

करतारपुर गलियारे का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और भाजपा में होड़ मची हुई है। नेतागण व्यक्तिगत तौर पर भी इसका श्रेय लेने पर आमादा हैं। इस कारण सोमवार को गलियारे का शिलान्यास कार्यक्रम शुरू होने से पहले विवाद पैदा हो गया। 

चुनावी लाभ पर नजर : आसन्न लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा, कांग्रेस से लेकर अकाली दल तक इसका लाभ लेने की कोशिश में हैं। इसी कारण गलियारे के शिलान्यास कार्यक्रम की रूपरेखा और अतिथियों के नामों में कई बार बदलाव हुए। शिलान्यास के समय बनाए जाने वाले मंच और पंडालों की संख्या से जुड़े फैसले भी बदले गए। 

शिलापट्ट पर नाम ढका : पंजाब के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा कार्यक्रम स्थल पर अधिकारियों की ओर से लगाए गए शिलापट्ट पर अपना नाम न देख खफा हो गए। उन्होंने शिलापट्ट पर काला टेप चिपका दिया। वह डेरा बाबा नानक से विधायक हैं, लेकिन उनके क्षेत्र में बन रहे गलियारे के शिलापट्ट में उन्हीं का नाम नहीं था। जबकि शिला पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का नाम था। इससे नाराज रंधावा ने उस पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और अन्य मंत्रियों के नाम पर काली पट्टी चिपका दी।

अरदासों का नतीजा :शिलान्यास कार्यक्रम से पहले बाबा डेरा नानक पहुंचे कैबिनेट मंत्री सिद्धू ने इस गलियारे के खुलने का श्रेय संगतों को दिया। उन्होंने कहा, संगतों की अरदासों से ही यह रास्ता खुलने जा रहा है। 

भारत-पाक के बीच सीमा पार करने के प्रमुख रास्ते

वाघा : 
यह भारत-पाक के बीच का सबसे मशहूर रास्ता है। यह अमृतसर से 32 किलोमीटर और लाहौर से 24 किलोमीटर दूर पड़ता है। यहां होने वाला दैनिक रिट्रीट समारोह काफी लोकप्रिय है। 

अटारी : 
यह अमृतसर से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) है। अटारी अंतिम रेलवे स्टेशन है जो लाहौर और दिल्ली को जोड़ता है। दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस अटारी स्टेशन से होकर गुजरती है।  

गंडा सिंह वाला :
पाक पंजाब के कसूर जिले में अवस्थित यह रास्ता बीसवीं सदी के सातवें-आठवें दशक में चालू था। यहां भी वाघा सीमा पर होने वाली बिटिंग रिट्रीट की तरह यहां भी आयोजन होता था। साल 2005 में इसे दोबारा खोलने को लेकर चर्चा हुई, पर अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला। 
करतारपुर कॉरिडोर:पंजाब के मंत्री ने फाउंडेशन स्टोन पर चिपकाया काली टेप
     
हुसैनीवाला :
पंजाब के फिरोजपुर जिले के हुसैनीवाला गांव में पड़ता है, जो भारत-पाक सीमा तय करने वाली सतलुज नदी के किनारे है। यात्रियों को इससे आने जाने की सुविधा नहीं है। हालांकि यहां भी दैनिक रिट्रीट आयोजन होता है।     
मुनाबाओ :
यह गांव राजस्थान के बाड़मेर जिले में पड़ता है। इसके रेलवे स्टेशन से होकर थार एक्सप्रेस गुजरती है। 1965 के युद्ध के बाद से यह रास्ता बंद था, जो 2006 में खोला गया, जब थार एक्सप्रेस जोधपुर के भगत की कोठी से पाकिस्तान के कराची तक चलनी शुरू हुई। 
करतारपुर कॉरिडोर: सिद्धू के पाक जाने पर अमरिंदर सिंह ने दिया ये बयान

चीन के लिए इन रास्तों से आना-जाना

नाथू ला

ईस्ट सिक्किम जिले में स्थित और सिक्किम व तिब्बत को जोड़ने वाला हिमालयी दर्रा। गंगटोक से 54 किलोमीटर पूर्व में पड़ता है। गंगटोक से परमिट लेकर सिर्फ भारतीय यहां की यात्रा कर सकते हैं। भारत-चीन के बीच व्यापार के तीन मार्गों में से एक। 1962 के युद्ध के बाद बंद हो गया था। 2006 में फिर खुला। 
उपराष्ट्रपति ने रखी करतारपुर कॉरिडोर की नींव,अमरिंदर की पाक को चेतावनी

शिप्की ला
हमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित पहाड़ी दर्रा। फिलहाल दोनों ओर के लघु स्तर के स्थानीय व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। बाहरी लोग के लिए खुला नहीं है। दोनों देशों के बीच व्यापार के लिए इसे 1994 में खोला गया था।

लिपुलेक दर्रा
उत्तराखंड और तिब्बत के बीच का हिमालयी दर्रा। भारत और चीन के बीच व्यापार के लिए 1992 में खोला गया। मानसरोवर के तीर्थयात्री भी इसका इस्तेमाल करते हैं।
करतारपुर गलियाराः40 साल से पाक में बंद है पति,पत्नी को वापसी की उम्मीद

अगला लेखऐप पर पढ़ें