क्या मोबाइल पर पोर्न देखना है गुनाह? चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर क्या बोला हाई कोर्ट; जानिए
मद्रास हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी निजी डिवाइस पोर्न को डाउनलोड करना और उसे देखना गुनाह नहीं है बल्कि इसे प्रसारित करना अपराध की श्रेणी में आता है।
युवाओं में बढ़ रहे पोर्न देखने की लत पर मद्रास हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है। मद्रास हाई कोर्ट ने पोर्न देखने को सिगरेट और शराब पीने की लत की तरह बताया। न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने इस बात पर भी टिप्पणी की कि निजी डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना जुर्म है या नहीं। मद्रास हाई कोर्ट ने युवा पीढ़ी में लगातार बढ़ रही पोर्न देखने की लत को रोकने के समाधान पर भी जोर दिया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी निजी डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना पोक्सो एक्ट और आईटी अधिनियम के तहत अपराध नहीं है।
न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने गुरुवार को कहा, "युवा पीढ़ी इस गंभीर समस्या से जूझ रही है, उन्हें दंडित करने के बजाय समाज को इतना परिपक्व होना चाहिए कि वह उन्हें उचित सलाह दे सके।" न्यायमूर्ति ने कहा कि समाज को युवा हो रही पीढ़ी को शिक्षित करना चाहिए और उन्हें इस लत से छुटकारा दिलाने के लिए परामर्श देना चाहिए।
इंटरनेट पर पोर्न कंटेंट की भरमार के कारण लोगों में इसकी लत बढ़ती जा रही है, जो चिंता का विषय है। न्यायमूर्ति ने कहा कि एक बटन के क्लिक से युवाओं के पास एडल्ट कंटेंट के बहुत से पेज खुल जाते हैं। इसके लिए समाज को युवाओं में उचित सलाह देनी चाहिए ताकि वे ऐसा न करें।
अदालत ने 28 साल के शख्स के खिलाफ शुरू किए गए अभियोजन को रद्द कर दिया, जिस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करने और देखने के लिए पोक्सो और आईटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि निजी डिवाइस पर पोर्न देखने गुनाह नहीं है, बल्कि इसे प्रसारित करना अपराध है।