हिंदू बच्चों को खिलाया जा रहा बीफ? NCPCR को कर्नाटक की मिशनरी में मिला संदिग्ध मांस
NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने 'X' पर बताया, 'होम में बड़ी संख्या हिंदू बच्चों की है इसके बावजूद सभी बच्चों से ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही है तथा गौ मांस पकाया जा रहा है।
NCPCR यानी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निरीक्षण में कर्नाटक की एक मिशनरी संस्था में हैरान करने वाली बातें सामने आई हैं। दावा किया जा रहा है कि संस्था में 'गौ मांस' पकाया जा रहा है। फिलहाल, आयोग ने आगे की कार्रवाई के लिए नोटिस जारी कर दिया है। कुछ दिनों पहले भी आयोग ने कर्नाटक के ही एक यतीमखाने का औचक निरीक्षण किया था।
संस्था में पकाया जा रहा है बीफ
आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि जांच के दौरान एनसीपीसीआर को 'संदिग्ध मांस' मिला है। उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म 'X' पर लिखा, 'कर्नाटक के दावणगिरे में डॉनबॉस्को मिशनरी संस्था द्वारा संचालित बच्चों के आश्रय गृह ओपन शेल्टर में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम को निरीक्षण के दौरान किचन में संदिग्ध मांस मिला।'
उन्होंने जानकारी दी कि आयोग को जांच के दौरान कचरे से 'बीफ (गौमांस) का बिल' भी मिला है। उन्होंने बिल की तस्वीर भी साझा की है।
संस्था में हिंदू बच्चे भी
आयोग अध्यक्ष ने जानकारी दी है कि संस्था में रहने वालों में बड़ी संख्या में हिंदू बच्चे हैं। कानूनगो ने बताया, 'होम में बड़ी संख्या हिंदू बच्चों की है इसके बावजूद सभी बच्चों से ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही है तथा गौ मांस पकाया जा रहा है। आवश्यक कार्रवाई हेतु नोटिस जारी किया जा रहा है।'
यतीमखाने पर पहुंचा NCPCR
कुछ दिनों पहले ही कानूनगो राजधानी बेंगलुरु के दारूल उलूम सैय्यादिया यतीम खाना पहुंचे थे। उन्होंने बताया था कि यहां सैकड़ों बच्चे खराब स्थिति में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि करीब 200 बच्चे मस्जिद में ही रहते हैं और उन्हें स्कूल भी नहीं भेजा जाता। साथ ही उन्हें मनोरंजन या खेल का कोई जरिया भी मुहैया नहीं कराया गया है।
उन्होंने जानकारी दी थी, 'यहां करीब 200 यतीम (अनाथ) बच्चों को रखा गया है। 100 वर्गफुट के कमरे में 8 बच्चों का रखा जाता है, ऐसे 5 कमरों में 40 बच्चे रहते हैं व कॉरिडोर में 16 बच्चे रहते हैं। 150 बच्चे मस्जिद के नमाज पढ़ने वाले 2 अलग अलग हाल में ही रात को सोते हैं। सभी 200 बच्चे दिन भर इन्हीं नमाज वाले हाल में मदरसा की इस्लामिक दीनी तालीम पढ़ते हैं। किसी भी बच्चे को स्कूल नहीं भेजा जाता है।'