Hindi Newsदेश न्यूज़India Suspends Indus Water Treaty Enhances Reservoir Capacity in Kashmir

कश्मीर में भारत ने पानी रोकने पर काम शुरू किया: रिपोर्ट

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद कश्मीर में दो पनबिजली परियोजनाओं के जलाशयों की भंडारण क्षमता बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है। यह काम सलाल और बगलिहार परियोजनाओं...

डॉयचे वेले दिल्लीMon, 5 May 2025 06:02 PM
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कश्मीर में भारत ने पानी रोकने पर काम शुरू किया: रिपोर्ट

मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद भारत ने कश्मीर में दो पनबिजली परियोजनाओं के जलाशयों की भंडारण क्षमता बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है.22 अप्रैल को भारतीय कश्मीर के बाइसरन में पर्यटकों पर हुए हमले के तुरंत बाद ही भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया.अब खबर आ रही है कि नदियों के पानी को अपनी तरफ रोकने के लिए भारत ने जलाशयों की भंडारण क्षमता को बढ़ाने पर काम शुरू कर दिया है.समाचार एजेंसी रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि भारत की सरकारी कंपनी एनएचपीसी और जम्मू व कश्मीर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने दो पनबिजली परियोजनाओं में "जलाशय फ्लशिंग" प्रक्रिया शुरू कर दी है.इस दौरान जलाशयों में नीचे बैठी तलछट और गाद हटाई जाएगी.कहां की जा रही है "फ्लशिंग"रायटर्स के सूत्रों के मुताबिक यह काम सलाल और बगलिहार पनबिजली परियोजनाओं में किया जा रहा है. साथ ही भारत ने पाकिस्तान को इसकी जानकारी नहीं दी है.यह परियोजनाएं 1987 और 2008/09 में शुरू हुई थीं और इनमें पहली फ्लशिंग की जा रही है.रायटर्स के मुताबिक सिंधु जल संधि की वजह से यह काम रुका हुआ था.सूत्रों ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर समाचार एजेंसी को यह जानकारी दी क्योंकि उन्हें मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं है.एनएचपीसी और संबंधित सरकारों ने इस पर टिप्पणी करने के रॉयटर्स के अनुरोध का जवाब नहीं दिया.सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि फ्लशिंग प्रक्रिया एक मई को शुरू हुई थी और तीन दिन चली. एक सूत्र ने कहा, "इस तरह का काम पहली बार किया गया है और इसके कारण, पहले से ज्यादा कुशल तरीके से बिजली उत्पादन में मदद मिलेगी और टरबाइनों को नुकसान से भी बचाया जा सकेगा"सूत्रों ने यह भी बताया, "हमें सफाई के लिए अडजस्टेबल दरवाजे खोलने के लिए भी कहा गया, जो हमने एक तारिख से कर दिया था" उन्होंने कहा कि इन कदमों का उद्देश्य बांध परिचालन से जुड़ी सभी बाधाएं हटाना है.भारतीय कश्मीर में चिनाब नदी के किनारे रहने वाले लोगों ने बताया कि उन्होंने देखा कि एक तारीख से तीन तारीख तक सलाल और बगलिहार बांधों से पानी छोड़ा गया था.जरूरी नहीं है कि इस कदम से पाकिस्तान में पानी की सप्लाई पर तुरंत खतरा मंडराने लगे, लेकिन अगर दूसरी परियोजनाओं में भी यह काम किया गया तो पाकिस्तान प्रभावित हो सकता है.इस इलाके में इस तरह की छह से ज्यादा परियोजनाएं हैं.खाली होंगे जलाशयपनबिजली परियोजनाओं में "फ्लशिंग" के लिए जलाशय को लगभग पूरा खाली करना पड़ता है, ताकि तलछट और गाद बाहर निकले.धीरे धीरे तलछट का बढ़ना परियोजना के आउटपुट में गिरावट का एक प्रमुख कारण होता है. दो सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि 690 मेगावॉट की सालार परियोजना अपनी क्षमता से काफी कम बिजली बना रही थी क्योंकि पाकिस्तान की वजह से इस तरह की फ्लशिंग रुकी हुई थी.900 मेगावॉट की बगलिहार परियोजना में भी गाद जम जाने की वजह से बिजली उत्पादन गिर चुका था.एक सूत्र ने बताया, "फ्लशिंग आम कार्रवाई नहीं है क्योंकि उससे पानी की बहुत बर्बादी होती है.नीचे की तरफ के देशों को जानकारी भी देनी होती है ताकि अगर बाढ़ का कोई खतरा हो तो वो तैयार रहें"सिंधु जल संधि के तहत हुए समझौतों को किनारे रखते हुए उठाया गया यह भारत का पहला कदम है.सिंधु संधि के जल बंटवारे से ही पाकिस्तान की 80 प्रतिशत खेती को पानी मिलता है.इस्लामाबाद ने संधि को निलंबित करने के भारत के फैसले का विरोध करते हुए चेतावनी दी है कि "पाकिस्तान के पानी को रोकने या उसकी दिशा बदलने की किसी भी कोशिश को युद्ध का एलान माना जाएगा"हालांकि दोनों तरफ के अधिकारियों और जानकारों का कहना है कि भारत तुरंत पानी नहीं रोक सकता है क्योंकि संधि ने उसे पाकिस्तान को दी गई तीन नदियों पर जो पनबिजली परियोजनाएं बनाने की इजाजत दी है उनमें ज्यादा भंडारण क्षमता नहीं है.

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