जुलाई में बारिश होगी या पड़ती रहेगी गर्मी का मार, जानें मौसम विभाग ने लगाया क्या अनुमान
जुलाई में देश के अधिकांश हिस्सों में 'सामान्य' या 'सामान्य से अधिक' अधिकतम तापमान रहने की संभावना है। वहीं, हिमालय की तलहटी के कुछ हिस्सों में तापमान 'सामान्य से नीचे' रहने का अनुमान है।
जुलाई में उत्तर भारत के कुछ हिस्सों, मध्य भारत और दक्षिण के अधिकांश हिस्सों में 'सामान्य' या 'सामान्य से अधिक' बारिश होने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। जुलाई के दौरान पूर्वी, पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों और पूर्व मध्य भारत से सटे क्षेत्रों और पश्चिम दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में 'सामान्य' या 'सामान्य से कम' बारिश हो सकती है।
आईएमडी ने एक बयान में कहा कि देश भर में जुलाई के दौरान 'सामान्य' बारिश (94 से 106% तक) होने की संभावना है। 1971 से 2020 के आंकड़ों के आधार पर जुलाई के दौरान देश भर में वर्षा की लंबी अवधि का औसत (एलपीए) लगभग 280.4 मिमी है।
'सामान्य' या 'सामान्य से अधिक' रहेगा तापमान: IMD
जुलाई में देश के अधिकांश हिस्सों में 'सामान्य' या 'सामान्य से अधिक' अधिकतम तापमान रहने की संभावना है। वहीं, हिमालय की तलहटी और प्रायद्वीपीय भारत के हिस्सों में अधिकतम तापमान 'सामान्य से नीचे' रहने का अनुमान है। नवीनतम वैश्विक मॉडल पूर्वानुमानों से संकेत मिलता है कि मौजूदा ला नीना की स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर पर जारी रहने की संभावना है और जुलाई से सितंबर 2022 के दौरान हिंद महासागर पर नकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुवीय (IOD) स्थितियों के विकास की संभावना बढ़ गई है।
ला नीना मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतह के तापमान के बड़े पैमाने पर ठंडा होने को दर्शाता है, जो उष्णकटिबंधीय वायुमंडलीय हवाओं, दबाव और वर्षा में परिवर्तन के साथ मिलकर होता है। यह हर दो से सात साल में होता है। भारत में ला नीना मजबूत मानसून और औसत से अधिक वर्षा और ठंडी सर्दियों के साथ जुड़ा हुआ है। IOD दो भागों में समुद्र के तापमान के बीच का अंतर होता है- पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी में। एक तटस्थ आईओडी मानसून को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन एक नकारात्मक बुरी खबर है।
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