Notification Icon
Hindi Newsदेश न्यूज़India is matching China potential to become superpower Foreign media praises Modi government - India Hindi News

चीन की बराबरी कर रहा भारत, विज्ञान में महाशक्ति बनने की ताकत; विदेशी मीडिया ने की मोदी सरकार की तारीफ

दुनिया भर में कोविड महामारी से लड़ने में उसकी भूमिका अहम रही। पिछले साल भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली।Sat, 20 April 2024 12:30 AM
share Share

भारत आर्थिक शक्ति होने के साथ ही विज्ञान महाशक्ति भी बन सकता है। ‘नेचर’ ने अपने संपादकीय में कहा है कि जीडीपी का महज 0.64 फीसदी खर्च करके भारत अंतरिक्ष में बड़ों-बडों की बराबरी कर रहा है, इसलिए और अधिक निवेश से वह महाशक्ति के रूप में उभर सकता है। संपादकीय में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा देश में बुनियादी अनुसंधान की उपेक्षा की गई। 

लीक से हटकर लिखे गए संपादकीय में कहा गया है कि भारत में आम चुनाव चल रहे हैं, इस बात की पूरी संभावना है कि एनडीए तीसरी बार सत्ता में आएगा। वह दशक के आखिर तक भारत को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में सफल होगा। इसके अनुसार, विज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति बनने के लिए अनुसंधान प्रणाली को अधिक स्वायत्तता की जरूरत है। भारत सरकार व्यवसायों को अधिक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करके विज्ञान व्यय को बढ़ा सकती है, जैसा दुनिया के शीर्ष देशों ने किया है। 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में भारत मात्रा के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उद्योग था और सस्ती दवाओं और जेनेरिक दवाओं का अग्रणी आपूर्तिकर्ता था। दुनिया भर में कोविड महामारी से लड़ने में उसकी भूमिका अहम रही। पिछले साल भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश। उसके पास दुनिया का सबसे बड़ा रिमोट-सेंसिंग उपग्रह भी है।

अनुसंधान-उत्पादन में भारत दुनिया में तीसरे क्रम पर
आंकड़ों की मानें तो संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद अनुसंधान और उत्पादन के मामले में भारत दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में से एक है। वर्ष 2014 से 2021 तक विश्वविद्यालयों की संख्या 760 से बढ़कर 1113 हो गई। पिछले दशक में 7 और आईआईटी स्थापित किए गए हैं, जिससे इनकी कुल संख्या 23 हो गई है। दो नए भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान भी स्थापित किए गए। अब विचार करें कि ये लाभ उस देश द्वारा हासिल किए गए, जिसने 2020-21 के दौरान अनुसंधान और विकास पर अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का केवल 0.64% खर्च किया, यदि नई सरकार खर्च को बढ़ाती है तो भारत इस क्षेत्र में बहुत कुछ हासिल कर सकता है।

भारत का विज्ञान खर्च 2020-21 में 57.9 अरब डॉलर रहा
पिछले महीने प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) में 38 उच्च आय वाले देशों का औसत आर एंड डी व्यय लगभग 2.7 फीसदी था, जबकि चीन ने 2.4 फीसदी खर्च किया। डीएसटी के अनुसार पूर्ण रूप से क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) के लिए समायोजित भारत का विज्ञान खर्च 2014-15 में 50.3 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2020-21 में 57.9 अरब डॉलर हो गया। पीपीपी विभिन्न देशों में किसी मुद्रा की क्रय शक्ति का माप है। वर्ष 1991 में आर्थिक सुधार लागू होने के बाद आर एंड डी खर्च में भारत की हिस्सेदारी लगातार बढ़ी, जो 2009-10 में सकल घरेलू उत्पाद के 0.82% पर पहुंच गई थी।

अनुसंधान में योगदान दे सकती हैं कंपनियां
भारत के अनुसंधान व्यय का लगभग 60 फीसदी केंद्र और राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों से और लगभग 40 फीसदी निजी क्षेत्र से लिया जा सकता है। तुलनीय देशों में निजी क्षेत्र का निवेश अक्सर बहुत अधिक होता है। वर्ष 2022 में निजी क्षेत्र ने ओईसीडी देशों के अनुसंधान एवं विकास खर्च में औसतन 74 फीसदी और यूरोपीय संघ के 27 सदस्यों के लिए इस तरह के वित्तपोषण का 66 फीसदी था। भारत में आज निर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी, विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स और अन्य क्षेत्रों में कई वैश्विक कंपनियां हैं। वे देश के अनुसंधान में बहुत अधिक योगदान दे सकते हैं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें