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LAC पर सुलझेगा सीमा विवाद? भारत और चीन के बीच 13वें दौर की बातचीत आज, जानें किस पर होगा फोकस

सीमा को लेकर जारी विवाद के बीच भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का एक और दौर आज यानी रविवार को होगा। इसमें पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष बिंदुओं से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया में कुछ...

Shankar Pandit हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीSun, 10 Oct 2021 07:17 AM
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सीमा को लेकर जारी विवाद के बीच भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का एक और दौर आज यानी रविवार को होगा। इसमें पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष बिंदुओं से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया में कुछ आगे बढ़ने पर ध्यान दिया जाएगा। सरकारी सूत्रों की मानें तो पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास गतिरोध के बाकी स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए भारत के लद्दाख कोर कमांडर और चीनी दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला कमांडर के बीच यह बैठक चुशुल में करीब सुबह 1.30 बजे होगी, जहां बातचीत के एजेंडे में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 या हॉट स्प्रिंग्स से डी-एस्केलेशन होगा।

भारतीय पक्ष से उम्मीद की जा रही है कि वह देप्सांग बुलगे और डेमचोक में मुद्दों के समाधान के लिए दबाव डालने के अलावा टकराव वाले शेष बिंदुओं से जल्द से जल्द सैनिकों की वापसी की मांग करेगा। दोनों देशों के बीच 12वें दौर की वार्ता 31 जुलाई को हुई थी। वार्ता के कुछ दिनों बाद दोनों सेनाओं ने गोगरा में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की, जिसे इस क्षेत्र में शांति की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया। चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की कोशिश की दो हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में 13वें दौर की वार्ता होगी। ये घटनाएं उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में और दूसरी अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई थी।

मामले से परिचित लोगों के अनुसार, वरिष्ठ सैन्य कमांडर दक्षिण डेमचोक में देपसांग बुलगे और चारडिंग नुल्लाह जंक्शन सहित पूर्वी लद्दाख में एक-एक करके गतिरोध के बाकी बचे बिंदुओं को उठाएंगे। अगर हॉट स्प्रिंग्स से डी-एस्केलेशन पर दोनों पक्ष एक समझौते पर आने का फैसला करते हैं, तो मई 2020 की चीनी सैनिकों की आक्रामकता को पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति के साथ ही उलट दिया जाएगा। अब तक लगभग पीएलए के 50 जवान गश्त बिंदु 15 पर अपनी स्थिति से आगे हैं और इतनी ही संख्या में भारतीय सेना के जवान भी उनका सामना कर रहे हैं।

हालांकि,  पिछले साल की तुलना में दोनों पक्षों के बीच सैन्य स्थिति कम हो गई है। फिर भी पीएलए ने अभी भी दो से अधिक डिवीजनों और कई संयुक्त हथियार ब्रिगेडों को तैनात सीमा पर आगे की ओर तैनात कर रखा है। भारतीय सेना ने भी चीन को टक्कर देते हुए तैनाती कर रखी है और दोनों तरफ से स्टैंडबाय पर वायु सेना को रखा गया है। बीजिंग पर नजर रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि अगर रविवार को पट्रोलिंग प्वाइंट 15 से डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया पर सहमति बन जाती है तो तो भारत और चीन दोनों 16 महीने के बाद पूर्वी लद्दाख थिएटर से सैनिकों को हटाने की दिशा में काम कर सकते हैं। 

थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन द्वारा सैन्य निर्माण और बड़े पैमाने पर तैनाती को बनाए रखने के लिए नए बुनियादी ढांचे का विकास चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि चीनी सेना सर्दियों के दौरान भी तैनाती बनाए रखती है, तो इससे एलओसी (नियंत्रण रेखा) जैसी स्थिति हो सकती है, हालांकि सक्रिय एलओसी जैसा नहीं होगा, जैसा कि पाकिस्तान के साथ पश्चिमी मोर्चे पर है। रविवार की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन करेंगे।

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