कैसे औरंगजेब की कैद से निकल गए थे छत्रपति शिवाजी? हाथ मलता रह गया था मुगल बादशाह
मुगल बादशाह औरंगजेब ने शिवाजी को धोखे से आगरा किले में कैद करवा लिया था। हालांकि शिवाजी और उनके भाई संभाजी वहां से भाग निकले और औरंगजेब हाथ मलता रह गया।
बीते कुछ दिनों से सियासी बयानबाजी में छत्रपति शिवाजी महाराज का जिक्र बार-बार किया जा रहा है। पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवाजी को बीते जमाने का आदर्श बता दिया था। इसके बाद विपक्ष ने उनकी जमकर आलोचना की और केंद्र से उन्हें वापस बुलाने की मांग भी की थी। अब महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने एक और विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तुलना शिवाज से कर डाली। इसके बाद राजनीति की गलियारों में फिर बयानबाजी होने लगी।
लोढ़ा ने कहा था, छत्रपति शिवाजी महाराज मुगल बादशाह औरंगजेब की कैद से आगरा किले से निकल गए थे। वह स्वराज्य के लिए बाहर निकले थे। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के किसी की गिरफ्त में थे। लेकिन महाराष्ट्र के हित के लिए वह बाहर निकल आए। उनका इशारा एकनाथ शिंदे के विद्रोह की तरफ था।
शिवाजी महाराज का जन्म 1630 में शाहजी भोंसले और जीजाबाई के घर हुआ था। उनका जन्म पूना से उत्तर की ओर जुन्नार में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनका लालन-पालन जीजाबाई के ही मार्गदर्शन में हुआ। उनके पिता अहमदनगर के निजाम थे और बाद में बीजापुर के दरबार में नौकरी करने लगे थे। बचपन से ही शिवाजी ने सपना सजा लिया था कि उनका अलग मराठा राज्य होगा। 18 साल की उम्र में ही वह सेना इकट्ठा करने लगे थे। उन्होंने छोटे-छोटे कई राज्यों पर आक्रमण किया और जीत भी लिया।
शिवाजी ने कई दुर्गों को जीत लिया। शिवाजी के बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए बीजापुर के सुल्तान ने को भय लगने लगा। उसने अपने सेनापति अफडल के साथ पुणे की ओर सेना भेज दी। अफजल शिवाजी को धोखा देकर मारना चाहता था। लेकिन शिवाजी उसकी चाल को समझ गए और अफजल के वार से पहले ही उसपर वार कर दिया और मार डाला।
आगरा के किले से कैसे निकले थे शिवाजी
जब औरंगजेब दिल्ली के तख्त पर बैठा तो उसे शिवाजी एक चुनौती की तरह नजर आने लगे। जब शिवाजी ने सूरत पर कब्जा कर लिया तो औरंगजेब और भी बौखला गया। उसने 1666 में शिवाजी को धोखे से कैद करवा लिया। शिवाजी को पता था कि बहुत दिनों तक मुगलों की कैद में रहने से उनका मराठा साम्राज्य का सपना अधूरा रह जाएगा। इसके बाद शिवाजी औरंगजेब के कैदखाने से एक टोकरे में बैठकर भाई संभाजी के साथ बाहर आ गए। इसके बाद वह सीधा पुणे में दिखाई दिए। इसके बाद 1669 में ही शिवाजी ने मुगलों के छक्के छुड़ा दिए। 1674 में उनका राजतिलक हुआ और वह छत्रपति बन गए।