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इज्जत चली गई, आंख नहीं मिला पाती; मणिपुर में नग्न घुमाई गईं महिलाओं की अब कैसी है हालत

Manipur Violence: मणिपुर में कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन सरेराह दरिंदगी का शिकार हुई महिलाओं मर्सी और ग्लोरी (बदले हुए नाम) की स्थिति सुधारने के लिए ये कदम काफी नहीं थे।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 8 Nov 2023 12:27 PM
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इज्जत चली गई, आंख नहीं मिला पाती; मणिपुर में नग्न घुमाई गईं महिलाओं की अब कैसी है हालत

मई 2023 की बात है। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर से हिंसा की खबरें आने लगी थीं। अखबारों में घरों को जलाया जाना, हत्याएं जैसी सुर्खियां आम हो गई थीं। कानूनी कार्रवाई और सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल ही रहा था कि एक दिन सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। वीडियो उन दो महिलाओं का था, जिन्हें मणिपुर में नग्न कर घुमाया गया था। इतना ही नहीं कहा जा रहा था कि उनके साथ सामूहिक बलात्कार भी हुआ।

बहरहाल, वीडियो को वायरल हुए महीनों का समय बीत चुका है। इस दौरान कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन सरेराह दरिंदगी का शिकार हुई महिलाओं मर्सी और ग्लोरी (बदले हुए नाम) की स्थिति सुधारने के लिए ये कदम काफी नहीं थे।

बीबीसी से बातचीत में मर्सी बताती हैं, 'आप जानते हैं कि भारतीय समाज कैसा है। ऐसे हादसे के बाद वो औरतों को किस नजर से देखता है। अब मैं अपने समुदाय के उन लोगों से आंख नहीं मिला पाती। इज्जत चली गई है। अब मैं कभी पहले जैसी नहीं हो पाऊंगी।' ग्लोरी का कहना है, 'जानवरों जैसा बर्ताव किया गया। उस सदमें के साथ जीना पहले ही इतना मुश्किल था। फिर दो महीने बाद जब वीडियो वायरल हुआ, तो मेरे अंदर जिंदा रहने की चाह ही खत्म होने लगी।'

अब कैसी है स्थिति
कोकी-जोमी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली ग्लोरी और मर्सी अब दूसरे शहर में रह रहीं हैं। घटना के बाद उन्हें गांव छोड़कर भागना पड़ा। रिपोर्ट के अनुसार, मर्सी बताती हैं, 'मुझे रात में मुश्किल से नींद आती है और बहुत डरावने सपने आते हैं। मैं घर से बाहर नहीं निकल पाती। डर लगता है और लोगों से मिलने में शर्मिंदगी महसूस होती है।'

मैतेई समुदाय से नाराजगी
कॉलेज छात्रा रहीं ग्लोरी के सहपाठियों में कुकी और मैतेई दोनों समुदाय के लोग शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार, अब वे मैतेई समुदाय के किसी व्यक्ति का चेहरा तक नहीं देखना चाहती हैं। उन्होंने कहा, 'मैं कभी गांव वापस नहीं जाऊंगी। मैं वहां पली-बढ़ी, वो मेरा घर था, लेकिन वहां रहने का मतलब है कि पड़ोस  के गांवों के मैतेई लोगों के साथ मेलजोल, जो अब मुमकिन नहीं है।' मर्सी भी यही राय रखती हैं।

सामने देखी मौत
हिंसा के दौरान ग्लोरी के भाई और पिता की हत्या कर दी गई थी। बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, 'मैंने अपनी आंखों के सामने उनकी मौत होते देखी है।' वह बताती हैं कि अपनी जान बचाने के लिए शवों को खेत में छोड़कर भागना पड़ा। उन्होंने कहा, 'नहीं पता कि उनके शव किस मुर्दाघर में हैं। मैं इसकी जांच भी नहीं कर सकती। सरकार को खुद उन्हें हमें लौटा देना चाहिए।'

सरकार से नाराजगी
बातचीत में उन्होंने मणिपुर की सरकार के खिलाफ खुलकर नाराजगी जताई। ग्लोरी ने कहा, 'मणिपुर सरकार ने मेरे लिए कुछ नहीं किया। मुझे मुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं है। उनके शासन में ही तो हमारे साथ ये सब हुआ।' दोनों का कहना है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह जातीय हिंसा से प्रभावित हुए कोकी-जोमी परिवारों से मिलने नहीं पहुंचे हैं।

भविष्य
एक ओर जहां इंसाफ की आस लगाए ग्लोरी को भविष्य में दोबारा पढ़ाई करने और सेना में जाने की चाहत है। वहीं, मर्सी कहती हैं, 'हम आदिवासी औरतें बहुत मजबूत हैं। हम हार नहीं मानेंगे।' वह संदेश देना चाहती हैं कि बच्चों को यह सिखाया जाए कि कभी भी महिलाओं का अपमान न करें।

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