Hindi Newsदेश न्यूज़Happy Friendship Day: after 44 years found 12 friends who studying in Darjeeling

Happy Friendship Day: 44 साल बाद ढूंढ निकाले दार्जिलिंग में साथ पढ़े 12 दोस्त

Happy Friendship Day: स्कूल में साथ पढ़े दोस्त हमेशा याद रहते हैं। खासकर उम्र के उस पड़ाव पर जब आप सारी जिम्मेदारियां पूरी कर चुके हों और खुद के लिए वक्त की कोई कमी न हो। दोस्तों की इसी चाह, जरूरत और...

गोरखपुर। अजय श्रीवास्तव Sun, 4 Aug 2019 11:07 AM
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Happy Friendship Day: स्कूल में साथ पढ़े दोस्त हमेशा याद रहते हैं। खासकर उम्र के उस पड़ाव पर जब आप सारी जिम्मेदारियां पूरी कर चुके हों और खुद के लिए वक्त की कोई कमी न हो। दोस्तों की इसी चाह, जरूरत और जुनून में शहर के व्यापारी राजेश मिश्रा ने दार्जिलिंग में 44 साल पहले पढ़े 12 दोस्तों को तलाश लिया। 

उन्होंने फेसबुक पर मुहिम शुरू की तो कोई दोस्त अमेरिका में मिला, कोई दुबई में। कोई मेलबोर्न में कारोबार जमा चुका था तो कोई हैदराबाद में। एक दोस्त ऐसा भी मिला, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। इस तरह राजेश की कुल 12 दोस्तों की टोली तो बन गई, लेकिन बैच के बचे पांच दोस्तों की तलाश अब भी जारी है। फरवरी में ये दोस्त गंगटोक में अपने-अपने परिवार के साथ जुटेंगे। ख्वाहिश है कि मिलकर कुछ वक्त साथ गुजारें। स्कूल के जमाने की हंसी-ठिठोली का दौर चले। इसके साथ ही अतीत, वर्तमान और भविष्य को लेकर बातें भी हों। 

11वीं तक साथ पढ़े थे 1976 बैच के साथी
गोलघर में चायपत्ती के कारोबारी राजेश मिश्रा की पढ़ाई दार्जिलिंग के गोथौल्स मेमोरियल स्कूल (जीएमएस) में हुई थी। 1976 में 11वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद बैच के सभी 18 दोस्त अपने-अपने घर लौट गए। किसी ने दिल्ली से स्नातक किया तो कोई विदेश पढ़ने चला गया। कुछ दोस्तों ने आपस में कुछ वर्षों तक बातचीत जारी रखी, लेकिन वक्त गुजरने के साथ जिंदगी के झंझावतों में उलझकर अपने-अपने कोनों में सिमटते चले गए।

फेसबुक पर दो साल पहले दोस्तों की तलाश शुरू की 
दोस्तों की तलाश को लेकर राजेश मिश्रा बताते हैं कि दो साल पहले की बात है। वह नाना बने तो बेटी को देखने दिल्ली पहुंचे। वहां कोई काम तो था नहीं। खाली वक्त में पुरानी बातें और दोस्त याद आने लगे। स्मार्टफोन पर फेसबुक पर यूं ही सर्च करते-करते दोस्त अरविन्द चड्ढा से मुलाकात हो गई। चैटिंग हुई तो पता चला कि वह अमेरिका में हैं। दोनों के बीच मोबाइल नंबर का आदान-प्रदान हुआ। दोनों वाट्सएप से जुड़ गए। पुरानी कड़ियां जुड़ीं तो इसी तरह एक-एक कर देश-दुनिया में अपनी-अपनी जिंदगी में रमे 12 दोस्त मिल गए। 

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'जीएमएस 76' ग्रुप बनाया
इन सबने एक वाट्सएप ग्रुप बना लिया। नाम रखा- 'जीएमएस 76'। यह ग्रुप एक-दूसरे से सुख-दुख साझा करने का प्लेटफार्म बन गया। राजेश बताते हैं कि गोवा का रहने वाला दोस्त माइकल डिसूजा आस्ट्रेलिया के पर्थ में तो कोलकाता का वारेन मैथ्यूज मेलबार्न में रहता है। बैच के छात्र राजकिशोर चतुर्वेदी का दुबई में बड़ा कारोबार है। वहीं सुरेश तिवारी हैदराबाद के प्रतिष्ठित कारोबारियों में शुमार हैं।

डॉक्टर दोस्त की मौत की खबर ने झकझोर दिया 
दोस्तों की तलाश के बीच पता चला कि दिल्ली का रहने वाला दोस्त नीरज दीक्षित अब दुनिया में नहीं हैं। नीरज ने डॉक्टरी की पढ़ाई की थी। वह दिल्ली में ही प्रैक्टिस कर रहे थे। राजेश बताते हैं कि नीरज सबसे हंसमुख दोस्तों में से एक थे। किसी के चेहरे पर उदासी और खामोशी उन्हें बर्दाश्त नहीं होती थी। 

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गंगटोक में मुलाकात का उत्साह 
राजेश आखिरी बार जब अपने दोस्तों से रूबरू मिले थे तो वे सब जवान थे। अब सबके बाल सफेद हो चुके हैं। चेहरों पर झुर्रियां हैं। इतने वर्षों के बाद फरवरी 2020 में सब गंगटोक में मिलने वाले हैं। विदेश में रहने वाले दोस्त परिवार के साथ टिकट की बुकिंग करा रहे हैं। राजेश बताते हैं कि बैच के 18 दोस्तों में से सिर्फ पांच की तलाश बाकी है। यकीन है कि उन्हें भी तलाश लेंगे। 
 

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