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छोड़ दी थी IPS की नौकरी, कौन हैं श्रावस्ती से भाजपा प्रत्याशी साकेत मिश्रा; पिता का राम मंदिर के गहरा नाता

भाजपा ने यूपी की श्रावस्ती सीट से इसबार पूर्व आईएएस नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्र को उतारा है। वह फिलहाल उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के मनोनीत सदस्य हैं।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 3 March 2024 07:44 AM
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भारतीय जनता पार्टी ने 195 सीटों पर लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। भाजपा ने इस बार कई नए चेहरों को मौका दिया है। इसी में श्रावस्ती सीट से उतारे गए 53 साल के साकेत मिश्रा भी शामिल हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव और राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के बेटे हैं। बता दें कि श्रावस्ती सीट पर पिछली बार भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में इस सीट पर भाजपा का यह दांव कितना कारगर होगा यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा। 

बता दें कि साकेत मिश्रा फिलहाल उत्तर प्रदेश विधानपरिषद में भाजपा के मनोनीत सदस्य हैं। उनके पिता नृपेंद्र मिश्रा 1967 बैच के आईएएस अधिकारी थे। इसके बाद वह वर्तमान में अयोध्या राम मंदिर न्यास के अध्यक्ष हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके अच्छे संबंध रहे हैं। माना जाता है कि उनके बेटे साकेत मिश्रा की भाजपा में अच्छी पैठ है। 

छोड़ दी थी आईपीएस की नौकरी
साकेत मिश्रा ने दिल्ली के सेंट स्टीफेन्स कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। इसते बाद कोलकाता भारतीय प्रबंध संस्थान से मैनेजमेंट की डिग्री ली। उन्होंने बैंक में नौकरी की लेकिन सिविल सर्विस पर फोकस करने के लिए एक महीने में ही जॉब छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विस की भी परीक्षा निकाली और आईपीएस बन गए। लेकिन उनका मन इन्वेस्टमेंट सेक्टर में लगा था इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी विदेश चले गए। 18 साल तक उन्होंने वैश्विक स्तर के बड़े बैंकों के लिए काम किया। इसे बाद भारत आकर समाज सेवा करने का फैसला किया। 

बीते साल उत्तर प्रदेश विधानपरिषद में उन्हें मनोनीत किया गया। भारत आने के बाद उन्होंने एमएसएमई सेक्टर की प्राइवेट इक्विटी से संबंधित कंपनी शुरू की। इसके अलावा समाज सेवा के काम से जुड़ गए। 2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद लखनऊ क्षेत्र में साकेत मिश्रा को भी पहचान मिलने लगी। सूत्रों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने ही साकेत मिश्रा को पूर्व में काम करने का निर्देश दिया था। 

श्रावस्ती सीट से ही क्यों उतरे साकेत मिश्रा?
यूपी की श्रावस्ती सीट से साकेत का गहरा संबंध हैं। यहीं उनका ननिहाल है। उनके नाना बदलू राम शुक्ला बहराइच से पांच बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। साकेत मिश्रा भाजपा के युवा कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय हैं। 2018 में वह भाजपा में शामिल हुए थे और इसके बाद उन्हें पूर्वांचल विकास बोर्ड का सलाहकार नियुक्त किया गया। उन्हें 27 जिलों के विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके अलावा वह इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स में सहायक फैकल्टी भी हैं। 

बता दें कि श्रावस्ती पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि है। धार्मिक लिहाज से भी श्रावस्ती काफी प्रसिद्ध है। यहां हर साल नेपाल, श्रीलंका, जापान, चीन और थाईलैंड से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। यह भगवान बुद्ध की तपोस्थली है। माफिया अतीक अहमद ने भी इस सीट पर किस्मत आजमाई थी लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा था। 2009 में यहां कांग्रेस ने जीत हासिल की। इसके बाद 2014 में भाजपा प्रत्याशी दद्दन मिश्रा अतीक अहमद को हराकर लोकसभा पहुंचे। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बीएसपी प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा के सामने हार का सामना करना पड़ा। 

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