राज्यपाल नियुक्ति: BJP की जातीय समीकरण साधने की कोशिश
यूपी के निवासी फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाकर भाजपा ने पूर्वांचल की अति पिछड़ी जातियों को अपने पाले में खींचने की कोशिश की है। यहीं जन्मे और यूपी को राजनीतिक कर्मभूमि बनाने वाले फागू चौहान...
यूपी के निवासी फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाकर भाजपा ने पूर्वांचल की अति पिछड़ी जातियों को अपने पाले में खींचने की कोशिश की है। यहीं जन्मे और यूपी को राजनीतिक कर्मभूमि बनाने वाले फागू चौहान प्रदेश के सातवें राज्यपाल हैं।
इन नेताओं को राज्यपाल बनाकर भाजपा ने अपना जातीय समीकरण साधा है। साथ ही इनके वर्गों को अपने साथ लेने की कोशिश की है। पार्टी को इसका 2017 के विधानसभा चुनाव और हाल के लोकसभा चुनावों में लाभ भी मिला। प्रदेश और केन्द्र में दोबारा नरेन्द्र मोदी सरकार बनने में इन वर्गों की अहम भूमिका रही।
उत्तर प्रदेश से ये हैं राज्यपाल
- प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल हैं। कल्याण सिंह लोध जाति के बड़े नेता माने जाते हैं।
- प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पूर्व भाजपा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं। ब्राह्मण बिरादरी में उनकी अच्छी पकड़ है।
- अलीगढ़ के पूर्व सांसद सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल हैं। यूपी के पश्चिम जिलों के जाटों के नेता हैं। वह विधायक से लेकर राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं।
- आगरा की पूर्व महापौर बेबी रानी मौर्या उत्तराखंड की राज्यपाल हैं। पिछड़ी जाति की बेबी रानी अपनी बिरादरी की प्रभावशाली नेता हैं।
- लालजी टण्डन पहले बिहार के राज्यपाल थे। अब वह मध्य प्रदेश के राज्यपाल होंगे। श्री टण्डन खत्री सवर्ण बिरादरी के हैं।
- कलराज मिश्र को अभी हाल में हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है। श्री मिश्र ब्राह्मण जाति में खासा प्रभाव रखते हैं। यूपी में भाजपा के ब्राह्मण चेहरे के रूप में जाने जाते हैं।
- फागू चौहान लोनिया चौहान अति पिछड़ी जाति के हैं। इस बिरादरी के लोग आजमगढ़, गाजीपुर, देवरिया, बलिया और जौनपुर से वाराणसी तक खासी तादाद में हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा आजमगढ़, घोसी जौनपुर और लालगंज सु. लोकसभा सीट हार गई।