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राहुल गांधी के राजनीति में आते ही व्यवस्था ध्वस्त, पार्टी छोड़ते हुए खूब सुना गए गुलाम नबी आजाद

गुलाम नबी आजाद ने लिखा, 'दुर्भाग्य से राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री के बाद और खासतौर पर जनवरी 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनने के बाद सलाह-मशविरे के साथ चलने की जो परंपरा थी, वह ध्वस्त हो गई।'

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 26 Aug 2022 12:14 PM
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से नाता तोड़ लिया है और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 5 पन्नों का एक लंबा पत्र सोनिया गांधी को लिखकर अपनी नाराजगी भी पार्टी से जाहिर की है। यही नहीं कांग्रेस से 51 साल पुराना नाता तोड़ते हुए उन्होंने राहुल गांधी पर भी सीधा हमला बोला। गुलाम नबी आजाद ने इंदिरा गांधी से लेकर अब तक के दौर को याद दिलाते हुए सोनिया गांधी से कहा कि आपकी अध्यक्षता में पार्टी अच्छे से काम कर रही थी और सबसे मशविरा लिया जाता था। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस की यह व्यवस्था राहुल गांधी की 2013 में एंट्री के बाद खत्म होती चली गई। 

'राहुल गांधी के आने के बाद चापलूस दरबारियों को कमान'

गुलाम नबी आजाद ने लिखा, 'दुर्भाग्य से राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री के बाद और खासतौर पर जनवरी 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनने के बाद सलाह-मशविरे के साथ चलने की जो परंपरा थी, वह ध्वस्त हो गई।' गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राहुल गांधी के आने के बाद सारे वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को किनारे लगा दिया गया। उनकी जगह  गैर-अनुभवी और चापलूस दरबारियों ने ले ली। यही नहीं इन्हीं लोगों के हाथों में पार्टी के मामलों की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई। इसका अपरिपक्वता का बड़ा उदाहरण वह था, जब राहुल गांधी ने मीडिया की मौजूदगी में सरकार के अध्यादेश को ही फाड़ दिया। उस अध्यादेश पर कांग्रेस के कोर ग्रुप में चर्चा हुई थी और कैबिनेट से मंजूरी भी दी गई थी। ऐसे बचकाना व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार की गरिमा को ही कमजोर कर दिया था। 

राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने का जिक्र, कहा- बना हार की वजह

यही नहीं उन्होंने 2014 में कांग्रेस की हार के लिए भी इस वाकये को जिम्मेदार ठहराया। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि तमाम मामलों से अलग यह एक ही वाकया हार की वजह बन गया। गुलाम नबी आजाद ने पिछले दिनों ही जम्मू-कश्मीर की कैंपेन कमेटी और राजनीतिक मामलों की समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। यही नहीं नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा था कि मैं 37 सालों तक कांग्रेस का महासचिव रहा हूं और मुझे इस तरह प्रदेश में जिम्मेदारी देना डिमोशन करने जैसा है। उसके बाद से ही गुलाम नबी आजाद के भविष्य को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे।

इंदिरा, राजीव तक के रिश्तों का दिया हवाला, बोलीं- भारी मन से इस्तीफा

सोनिया गांधी को लिखे लेटर में गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से अपने रिश्ते और गांधी परिवार की कई पीढ़ियों के साथ काम करने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैंने आपके दिवंगत पति राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, संजय गांधी के साथ काम किया था। आधी सदी से ज्यादा का वक्त मैंने कांग्रेस को दिया है, लेकिन अब बेहद भारी मन से मैं कांग्रेस के सभी पदों से तत्काल इस्तीफा देता हूं और पार्टी से भी अपने संबंध समाप्त कर रहा हूं। बता दें कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस पार्टी से नाराज बताए जाने वाले जी-23 समूह के सबसे सीनियर नेता थे।

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