क्या है पाकिस्तान की नई चाल? अनुच्छेद 370 हटने के बाद से सीमा पर ड्रोन से बढ़ाई जासूसी, इस साल अब तक 99 बार दिखे
जासूसी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमा पर बढ़ा है। साथ ही अन्य सीमाओं पर भी ड्रोन की गतिविधियों को सुरक्षा एजेंसियों ने पकड़ा है। गुजरात से जम्मू तक पिछले साल से अब तक 99 ड्रोन...
जासूसी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमा पर बढ़ा है। साथ ही अन्य सीमाओं पर भी ड्रोन की गतिविधियों को सुरक्षा एजेंसियों ने पकड़ा है। गुजरात से जम्मू तक पिछले साल से अब तक 99 ड्रोन पश्चिमी सीमा पर देखे गए हैं। वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद संदिग्ध ड्रोन की संख्या अचानक बढ़ गई थी।
जम्मू वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन हमले के बाद जासूसी वाले ड्रोन भी सुरक्षा के लिए बड़े खतरे के रूप में देखे जा रहे हैं। जवाबी रणनीति पर सुरक्षा एजेंसियां ध्यान दे रही हैं। सुरक्षा जानकारों का कहना है कि जमीनी युद्ध में पाकिस्तान भारत से नहीं जीत सकता, इसलिए नए-नए हथकंडे लगातार अपनाए जाते हैं। ड्रोन से जासूसी, ड्रोन द्वारा हमले इसी रणनीति का हिस्सा है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कुछ समय पहले तैयार आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिमी सीमा (मुख्य रूप से जम्मू और पंजाब) पर 2019 में 167, पिछले साल 77 और इस साल अब तक करीब 66 बार ड्रोन देखे गए हैं।
मालूम हो कि ड्रोन का इस्तेमाल नक्सलियों द्वारा वाम उग्रवाद प्रभावित इलाकों में भी किया जा रहा है। ड्रोन का इस्तेमाल दुश्मन देश और आपराधिक तत्वों द्वारा अब तक केवल हथियारों, गोला-बारूद और मादक पदार्थों को लाने के लिए किया जाता रहा है। अब इनका इस्तेमाल बम गिराने के लिए किए जाने के बाद सुरक्षा रणनीति में तुरंत बदलाव की जरूरत महसूस की जाने लगी है।
मुश्किल : अन्य सीमाओं पर भी देखा जा रहा ड्रोन का चलन
भारत के लिए ड्रोन से जासूसी की समस्या केवल पाकिस्तान सीमा तक सीमित नहीं है, बल्कि ड्रोन का चलन अन्य सीमाओं पर भी देखा जा रहा है। नेपाल और चीन सीमा पर भी ड्रोन देखे गए हैं। इसलिए बीएसएफ के अलावा आईटीबीपी और एसएसबी के लिए ड्रोन गतिविधियों को पकड़ने और इसे नाकाम करने की तकनीकी की सख्त जरूरत बताई जा रही है। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के अलावा चीन सीमा पर तनाव और कुछ समय से नेपाल सीमा पर भी संदिग्ध गतिविधियों को लेकर अलर्ट बढ़ा है।
दावा: खरीद में अनियमितता
कांग्रेस का आरोप है कि इस सौदे में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है, 526 करोड़ रुपये के एक विमान की कीमत 1670 करोड़ अदा की गई। फ्रांसीसी वेबसाइट के मुताबिक, दसॉल्ट ने भारतीय बिचौलिए को 10 लाख यूरो दिए थे।
अनुबंध में उल्लंघन नहीं
भाजपा और केंद्र सरकार ने इन आरोपों को कई बार खारिज किया है। पार्टी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्लीन चिट दी जा चुकी है। दसॉल्ट एविएशन ने भी कहा था कि अनुबंध तय करने में कोई उल्लंघन नहीं हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दी थी क्लीनचिट
राफेल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2018 को दिए अपने फैसले में भारत की केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि इस फैसले की समीक्षा के लिए अदालत में कई याचिकाएं दायर की गईं और 10 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 14 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने राफेल मामले में दायर की गईं सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था।