यूएस के बाद अब फ्रांस की कंपनी भी भारत के साथ बनाएगी जेट इंजन, दिया बड़ा ऑफर
फ्रांस ने अपने देश की कंपनी सफ्रान के उस ऑफर को मंजूरी दे दी है जिसमें उसने भारत के साथ मिलकर भारत मेें ही जेट इंजन बनाने का ऑफर दिया है। यूएस के साथ पहले ही इस तरह की डील हो चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले ही भारत के करीबी रहे फ्रांस ने भारत को रक्षा क्षेत्र में बड़ा ऑफर दिया है। यह सौदा अमेरिका के साथ हुए जीई-414 इंजन डील से भी अहम हो सकता है। इमैनुएल मैक्रों की सरकार ने एयरक्राफ्ट इंजन बनाने वाली कंपनी सफ्रान को भारत के साथ मिलकर टेस्ट, डिवेलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग करने की अनुमति दे दी है। हालांकि इस बारे में सरकार ने अब तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है।
फ्रांस की कंपनी अगर भारत के साथ मिलकर इंजन बनाती है तो इससे भारत के ट्विन इंजन एडवांस्ड मस्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के निर्माण को बल मिलेगा। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक साफरा ने 100 प्रतिशत टेक्नॉलजी ट्रांसफर का ऑफर दिया है जो कि आईटीएआर से मुक्त होगी और 110 किलो न्यूटन इंजन को पूरी तरह से भारत में बनाने में सक्षम होगी।
डीआरडीओ के चीफ डॉ. समीर वी कामत 2023 पैरिस एयर शो से इतर साफरान फैक्ट्री देखने पहुंचे थे। एनएसए की अगुआई वाले प्रतिनिधिमंडल के साथ फ्रांस की इस बारे में चर्चा हो चुकी है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जुलाई को पैरिस पहुंचने वाले हैं और वह 14 जुलाई को बैस्टिल डे समारोह में शामिल होंगे। वहीं वह राष्ट्रपति मैक्रों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इस बार बैस्टिल डे में भारतीय वायुसेना के राफेल फाइटर जेट भी भाग ले रहे हैं।
फ्रांस ने जो ऑफर दिया है उसमें पूरी तरह से नए इंजन, नया मटीरियल, नया आर्किटेक्चर, फुल सप्लाई चेन शामिल है। भारत में इंजन के निर्माण और प्रमाणन में कम से कम 10 साल का वक्त लेगा। वहीं इस ऑफर में सैफरान द्वारा भारत में गैस टरबाइन टेक्नॉलजी सेंटर बनाया जाना भी शामिल है। डीआरडीओ के तमाम प्रयासों के बावजूद 1996 में यह कावेरी जेट इंजन नहीं बना सका था। भारत में रोटेटिंग पार्ट्स, सिंगल क्रिस्टल ब्लेड और मेटलर्जिकल टूल्स की कमी की वजह से यह संभव नहीं हो पाया था।
फ्रांस की कंपनी भारत में विमान इंजन के रख-रखाव और मरम्मत व ओवरहॉल (एमआरओ) की सुविधाएं देने को भी तैयार है। भारत में पांचवीं पीढ़ी के विमानों के लिए अभी कोई स्वदेशी जेट इंजन नहीं है। बता दें कि फ्रांस की कंपनी ने दो साल पहले ही जेट इंजनों की तकनीक ट्रांसफर को लेकर प्रस्ताव दिया था लेकिन 1 बिलियन यूरो से अधिक की मांग को लेकर मामला अटक गया था।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।