आ गया मॉनसून का पहला अनुमान, अल नीनो इस साल लाएगा सूखा? कितनी होगी बारिश
स्काईमेट वेदर ने इस बार मॉनसून का अनुमान लगाया है। इसके मुताबिक 20 फीसदी आशंका है कि सूखा पड़ सकता है। कम बारिश के 40 फीसदी आसार हैं।
मौसम के बारे में भविष्यवाणी करने वाली प्राइवेट कंपनी स्काईमेट वेदर का कहना है कि इस बार औसत से कम बारिश होगी। स्काईमेट का कहना है कि इस बार जून से सितंबर के बीच सामान्य से कम बारिश होगी। एजेंसी का अनुमान है कि इस बार मानसून कमजोर रहने से चार महीने में 868 मिमी तक कम वर्षा होगी।
स्काईमेट का कहना है कि सामान्य से कम बारिश होने के 40 फीसदी आसार हैं। वहीं 15 फीसदी यह उम्मीद है कि सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। इसके अलावा 25 फीसदी उम्मीद ही सामान्य बारिश होने के हैं। ज्यादा बारिश होने का अनुमान 0 फीसदी ही है। स्काइमेट के डायरेक्टर जतिन सिंह का कहना है कि पिछले चार बार से मानसून के सीजन में सामान्य बारिश हो रही थी। इसकी वजह ला नीना था जो कि अब खत्म हो रहा है। वहीं अब अल निनो बढ़ रहा है। इसीलिए अल नीनो की वापसी की वजह से मानसून कमजोर हो सकता है। ऐसे में सूखा पड़ सकता है और गरम मौसम की वजह से किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
प्रशांत महासागर में जब समुद्र की ऊपरी सतह गर्म होती है तो अल नीना का प्रभाव पड़ता है। इसका असर दक्षिण पश्चिम मॉनसून पर पड़ता है। अनुमान के मुताबिक मई से जुलाई के बीच अल नीनो का प्रभाव लौट आएगा। ऐसे में सूखा पड़ने का आसार बढ़ गए हैं। हालांकि स्काइमेट का कहना है कि सूखा पड़ने की संभावना केवल 20 फीसदी है। 1997 में अल नीनो ताकतवर था बावजूद इसके सामान्य वर्षा हुई थी।
उन्होंने बताया कि अल निनो के अलावा अन्य भी कई वजहें हैं जो कि मॉनसून को प्रभावित करेंगी। इंडियन ओशन डाइपोल भी मॉनसून को प्रभावित करता है। यह अभी न्यूट्रल है। देश में जून से सितंबर तक बारिश होती है। धान की खेती मॉनसून पर ज्यादा निर्भर करती है। अगर इस बार कम बारिश होती है तो बड़ी संख्या में किसानों पर असर पड़ेगा। इसके अलावा दुनियाभर में पहले ही खाद्यान्न की कमी है। इससे संकट गंभीर भी हो सकता है।
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