दिल्ली कूच को तैयार किसान, सरकार को सुबह 10 बजे तक का दिया अल्टीमेटम; बातचीत में कहां फंसा पेच
रिपोर्ट के मुताबिक, लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने पर भी सरकार राजी हो गई है। इसके अलावा, बिजली अधिनियम 2020 वापिस लेने पर भी सहमति बनी है।
किसानों ने 13 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया है। इस बीच, सोमवार को चंडीगढ़ में 3 केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच दूसरे दौर की अहम बैठक हुई। केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच मीटिंग अब खत्म हो गई है। MSP और कर्जामाफी की मांग पर किसानों ने केंद्र सरकार को मंगलवार सुबह 10 बजे तक का अल्टीमेटम दिया है। बैठक के बाद किसान संगठन के नेताओं सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डलेवाल ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 8 फरवरी से आगे नहीं बढ़ी है। अब हम अपने साथियों के साथ बात करके दिल्ली की तरफ आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि कल सुबह 10 बजे से आगे बढ़ेंगे। सरकार के पास 10 बजे तक का टाइम है, सरकार सोच ले।
कई किसान संगठनों और किसान नेताओं के ट्विटर एवं सोशल मीडिया हैंडल बंद कर दिए गए। किसान नेताओं ने ट्विटर अकाऊंट बंद करने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि अपने विचार व्यक्त करने की लोकतांत्रिक आजादी भी सरकार छीन रही है। किसानों को देश भर में पुलिस के जरिए रोका जा रहा है। बता दें कि बैठक चंडीगढ़ के सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान परिसर में हुई। केंद्र की तरफ से बैठक में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय शामिल हुए।
सूत्रों से पता चला कि बैठक में किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 5 या 6 मांगों पर सहमति बन गई है लेकिन MSP और कर्ज माफी की गारंटी पर पेच फंसा हुआ है। बैठक में फिलहाल किसानों और केंद्र सरकार के मंत्री के बीच एमएसपी और कर्ज माफी की गारंटी जैसी लंबे समय से अटकी मांगों पर सहमति नहीं बनी है। यही कारण है कि किसानों व केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच बैठक लंबी खिंची। पंजाब सरकार की तरफ से NRI मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल भी बैठक में मौजूद रहे, लेकिन रात के 10:30 बजे तक बैठक का कोई भी नतीजा नहीं निकल पाया। मीटिंग के दौरान ही किसान नेता रणजीत सिंह राजू मीडिया के सामने जरूर आए थे। उन्होंने यही कहा था कि बातचीत अभी भी जारी है।
किसानों के परिवारों को मुआवजा देने पर सहमति
रिपोर्ट के मुताबिक, लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने पर भी सरकार राजी हो गई है। इसके अलावा, बिजली अधिनियम 2020 वापिस लेने पर भी सहमति बन गई है। इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर सहित अन्य लोग शामिल हुए। मालूम हो कि एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की है कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के लिए कानून बनाने सहित अन्य मांगों को लेकर दिल्ली कूच करेंगे। केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के नेताओं के बीच 8 फरवरी को पहली बैठक में विस्तृत चर्चा हुई थी।
किसान नेताओं के सोशल मीडिया हैंडल सस्पेंड
किसान नेताओं के सोशल मीडिया हैंडल सस्पेंड किए जाने लगे हैं। किसान नेता सुरजीत फूल और रमनदीप मान के अकाउंट को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा हरियाणा सरकार ने ऐलान किया है कि प्रदर्शन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से ही की जाएगी। राज्य के गृह सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने कहा कि चाहे सार्वजनिक हो या निजी, नुकसान के मामले में हरियाणा रिकवरी ऑफ डैमेज टू प्रॉपर्टी ड्यूरिंग डिस्टर्बेंस टू पब्लिक आर्डर एक्ट 2021 के तहत कार्रवाई की जाए।
मार्च को देखते हुए दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी
किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च के मद्देनजर सिंघू, गाजीपुर और टिकरी सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और यातायात पाबंदियां लागू की गई हैं। वाहनों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं की कंक्रीट के अवरोधक और सड़क पर बिछाए जाने वाले लोहे के नुकीले अवरोधक लगाकर किलेबंदी की गई। इन उपायों से सोमवार को सुबह दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में यातायात की आवाजाही पर असर पड़ा जिससे यात्रियों को असुविधा हो रही है। पुलिस सीमा बिंदुओं पर कड़ी निगरानी रखने के लिए ड्रोन का भी उपयोग कर रही है। दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 144 लागू कर दी और यह आदेश एक महीने तक लागू रहेगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)