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कोरोना: देश के रेड लाइट एरिया को बंद करने में ही भलाई, खोला तो हो सकती है 12 हजार से अधिक मौत

स्कूल ऑफ मेडिसिन और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शिक्षाविदों के साथ मुंबई के केईएम के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक स्टडी में पाया गया है कि भारत में रेड लाइट एरिया के बंद होने से बड़े पैमाने...

Himanshu Jha एजेंसी, नई दिल्ली।Fri, 26 June 2020 05:45 PM
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स्कूल ऑफ मेडिसिन और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शिक्षाविदों के साथ मुंबई के केईएम के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक स्टडी में पाया गया है कि भारत में रेड लाइट एरिया के बंद होने से बड़े पैमाने पर COVID-19 मामलों की वृद्धि में 23 दिनों तक की देरी हो सकती है। साथ ही मामलों की संख्या को 67 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

स्टडी में यहा कहा गया है कि अगर अगर रेड एरिया को खोला गया तो पश्चिम बंगाल के रेड-लाइट एरिया में 200 से अधिक सेक्स वर्कर और निवासियों की मौत हो सकती है। साथ ही यह भी कहा गया है कि महाराष्ट्र भी सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक होगा।

रेड लाइट एरिया को बंद रखे रहने पर COVID-19 के मामलों में 32 से 60.2 प्रतिशत की कमी हो सकती है और महामारी के कारण मौत की संख्या 44-67.6 प्रतिशत तक कम हो सकती है। वहीं, अगर इस इलाके को बंद रखा जाता है तो कोरोना के मामलों के बड़े पैमाने पर बढ़ने के समय में 8 से 23 दिनों की देरी हो सकती है।

'Code Read COVID' हार्वर्ड मेडिकल स्कूल, येल मेडिकल स्कूल, केईएम अस्पताल और अन्य संस्थान के डॉक्टरों और शोधकर्ताओं का एक वैश्विक गठबंधन है। अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अगर अगले एक साल में रेड लाइट एरिया को खोला गया तो इस इन इलाकों में 4,00,000 से अधिक संक्रमण के मामले और 12,000 से मौतें हो सकती हैं।

अध्ययन ने यह भी सुझाव दिया कि वैक्सीन के विकासित होने और भारत में उसके वितरण में कम से कम 18 महीने लग सकते हैं। अगर में नई दिल्ली के जीबी रोड रेड लाइट एरिया की बात करें तो यहां में 2,774 मामले, 386 को भर्ती कराना पड़ सकता है और 91 मौतें हो सकती हैं।

स्टडी के सह लेखक, येल विश्वविद्यालय के डॉ. अभिषेक पांडे ने कहा, "सेक्स के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना असंभव है। सेक्स वर्कर, इसके संचालक और यहां जाने वाले लोगों के संक्रममित होने का खतरा अधिक होता है। रोड लाइट एयरिया को बंद रखने से हजारों मौतें टल सकती हैं।"

स्टडी में सुझाव दिया गया है, "COVID-19 के लिए प्रभावकारी उपचार या टीकों की अनुपस्थिति में सीमित सार्वजनिक स्वास्थ्य  सुविधा को मजबूत कर COVID-19 के मामलों और मौतों को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

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