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रोचक: उत्तराखंड में जन्मे टॉम ऑल्टर के बारे में ये नहीं जानते होंगे आप

रंगमंच, टीवी और फिल्मों में कई यादगार भूमिकाओं के लिए पहचाने जाने वाले अभिनेता टॉम ऑल्टर का मुबंई में निधन हो गया। वह स्कवॉमस सेल कार्सिनोमा नाम के स्किन कैंसर से पीड़ित थे। उनके निधन पर समूचे...

देहरादून, शैलेन्द्र सेमवाल Sat, 30 Sep 2017 11:56 AM
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रंगमंच, टीवी और फिल्मों में कई यादगार भूमिकाओं के लिए पहचाने जाने वाले अभिनेता टॉम ऑल्टर का मुबंई में निधन हो गया। वह स्कवॉमस सेल कार्सिनोमा नाम के स्किन कैंसर से पीड़ित थे। उनके निधन पर समूचे उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई है।

टॉम ऑल्टर के पिता कई दशक पहले अमेरिका से मसूरी आकर बसे थे। वह ईसाई मिशनरीज थे। इसके बाद से ऑल्टर परिवार मसूरी का होकर रह गया। यहीं टॉम का जन्म 22 जून 1950 को लंढौर में हुआ था। उनके पिता का नाम जेम्स आल्टर्स और माता का नाम बाबरा था। उनकी 12वीं तक की पढ़ाई मसूरी के वुड स्टॉक स्कूल में हुई।

टॉम ऑल्टर की ये बातें नहीं जानते होंगे आप

हिन्दी फिल्मों से बेहद प्रभावित टॉम ने 1792 में भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान पुणे में अभिनय में दाखिला लिया। 1974 में स्वर्ण पदक के साथ डिप्लोमा पूरा किया। 1974 से मुंबई फिल्म जगत में अभिनय किया। उनकी कॅरियर की पहली फिल्म रामानंद सागर की चरस थी। जिसमें वे मुख्य विलेन के साथ एक छोटी सी भूमिका में थे। इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक भूमिकाएं की। मनोज कुमार की क्रांति, सत्यजीत रे की शतरंज के खिलाड़ी, राजकपूर की राम तेरी गंगा मैली ने उन्हें व्यापक पहचान मिली। अपने कॅरियर में डेढ़ सौ से ज्यादा फिल्म और 50 से अधिक टीवी सीरियलों में काम करने के बाद भी टॉम रंगमंच और लेखन में भी सक्रिय रहे। 

सचिन का पहला इंटरव्यू लेने वाला पत्रकार

टॉम को खेल से बेहद लगाव था। मसूरी के सर्वे ग्राउंड, पोलो ग्राउंड और वुडस्टॉक स्कूल के मैदान में वह अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट, फुटबाल खेला करते थे। यही नहीं मुबंई जाने के बाद भी वह अपने फिल्मी सितारे दोस्तों को मसूरी में टीम बनाकर लाते थे और लोकल प्रतियोगिताओं में खिलाया करते थे। इनमें नसीरुद्दीन शाह, विशाल भारद्वाज जैसे नाम शामिल हैं। उन्होंने मुबंई में कुछ समय खेल पत्रकार के रूप में भी काम किया। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का पहला टीवी इंटरव्यू लेने का श्रेय टॉम को ही है।

खिलंदड रहा युवा अंदाज

टॉम की परवरिश एक आम लड़के जैसी हुई। अमेरिकन माता पिता की संतान होने के बावजूद उनमें अपने रंग के प्रति कोई अहम नहीं था। वह मसूरी के अपने दोस्तों के साथ बेहद साधारण अंदाज में रहते थे। कीचड़ में फुटबाल खेलना हो या फिर बारिश में धनोल्टी रोड पर टहलना हो। ये उनके लिए सामान्य बात थी।

चर्चित फिल्में

चरस, शतरंज के खिलाड़ी, चमेली मेमसाब, क्रांति, देस परदेश, सल्तनत, राम तेरी गंगा मैली, परिंदा, आशिकी, गुमराह, सरदार, सलीम लंगड़े पे मत रो और उधम सिंह

टीवी सीरियल

भारत एक खोज, जुनून, जुबान संभाल के, घुटन, साम्राज्य, नजदीकियां, दायरे, सहर, जुगलबंदी, कैप्टन व्योम, तारा।

मुझे फख्र कि मेरा जन्म उत्तराखंड में हुआ

टॉम ने एक बार अपने इंटरव्यू में खुद का जुड़ाव उत्तराखंड में होने पर फख्र जाहिर किया था। एक किताब में उन्होंने लिखा है, ‘हमें याद रखना होगा कि हम सब एक हैं, चाहे वह गढ़वाली हों, कुमाऊंनी हों, उत्तराखंडी हों, उत्तर प्रदेश के हों भारतीय हों या फिर अमेरिका या दुनिया के किसी कोने के। जब हम इस बात को अंदर से महसूस कर लेंगे तब न सिर्फ हमारा उत्तराखंड बल्कि सारा विश्व फलेगा-फुलेगा। एक चुनौती हम सबके सामने है, हम सब अपना-अपना एक घर चाहते हैं। अब हम एक ऐसा घर बनाएं, जिसमें सब का स्वागत हो, जहां सब बराबर हों।’

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