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मुकेश अंबानी, अमित शाह जैसे VVIPs के रक्षकों को मिलेगी मनोवैज्ञानिक मदद, समझें CRPF की नई पहल

वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया कि VIP सुरक्षा के दौरान गलती का कोई मौका नहीं होता और यह काफी स्ट्रेस का काम है। ऐसे में शामिल होने के समय और काम के दौरान साइकोलॉजिकल असेसमेंट जरूरी है।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 8 Feb 2023 01:40 PM
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मुकेश अंबानी, अमित शाह जैसे VVIPs के रक्षकों को मिलेगी मनोवैज्ञानिक मदद, समझें CRPF की नई पहल

सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स यानी CRPF में शामिल VIP सिक्योरिटी विंग जवानों के लिए मनोवैज्ञानिक मदद मुहैया कराने की तैयारी की जा रही है। खास बात है कि हाल ही में ओडिशा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे नब किशोर दास की कथित तौर पर असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। CRPF की तरफ से 1 फरवरी को इस संबंध में नोटिस भी जारी कर दिया गया है।

CRPF की VS में 6 हजार से ज्यादा जवान हैं, जो 110 VVIPs को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। इनमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और देश के बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडानी का नाम शामिल है। अब CRPF सुरक्षा इकाई में शामिल कमांडो के मानसिक स्वास्थ्य के विश्लेषण के लिए प्रोफेशनल साइकोलॉजिस्ट्स की मदद तलाश रहा है।

CRPF की तरफ से जारी नोटिस के अनुसार, उम्मीदवार के पास मान्यता प्राप्त भारतीय या विदेश विश्वविद्यालय से क्लीनिकल साइकोलॉजी या एप्लाइड साइकोलॉजी में डिग्री होना जरूरी है। आवेदक की उम्र 40 साल से कम होनी चाहिए और साथ में सब्जेक्ट में पीएचडी और तीन साल का अनुभव जरूरी है। चयन होने पर हर महीने 50 हजार से 60 हजार रुपये के बीच दिए जाएंगे।

क्यों पड़ी जरूरत?
एक मीडिया रिपोर्ट में वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया कि VIP सुरक्षा के दौरान गलती का कोई मौका नहीं होता और यह काफी स्ट्रेस का काम है। ऐसे में शामिल होने के समय और काम के दौरान साइकोलॉजिकल असेसमेंट जरूरी है। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि ओडिशा में हुई घटना का इससे कोई लेना देना नहीं है और यह फैसले कुछ समय पहले लिया गया था।

खबर है कि जिस पुलिसकर्मी ने कथित तौर पर ओडिशा में मंत्री को मारने वाले का बाइपोलर डिसॉर्डर के लिए इलाज जारी था।

कहा जा रहा है कि आगामी चुनावी माहौल को देखते हुए सुरक्षा से जुड़ी गतिविधियों में इजाफा होगा और इसके चलते नई पहल की शुरुआत कर दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि दूसरी इकाइयों के लिए भी इस तरह के पेशेवरों को भविष्य में हायर किया जाएगा। देश के सबसे बड़े इस अर्धसैनिक बल का नाम आजादी के बाद साल 1949 में बदल गया था।

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