एम्स बनाने से ज्यादा चलाने का खर्च, आंकड़ों से समझिए कितना है बजट
एम्स की घोषणा करना और उनका निर्माण करना है, उतना ही कठिन उन्हें पूरी तरह से संचालित करना है। प्रत्येक एम्स को प्रभावी तरीके से चलाने के लिए सालाना दो हजार करोड़ रुपये के बजट की जरूरत है।
एम्स का नाम सुनते ही लोग यह समझ जाते हैं कि यह देश में मेडिकल विभाग की सर्वोच्च संस्थाओं में एक एक है. देश में तेजी से नए एम्स भी स्थापित हो रहे हैं लेकिन इनका संचालन और इन्हें एम्स दिल्ली की तर्ज पर विकसित करने में अनेक चुनौतियां हैं। इसके लिए सरकार को बड़े पैमाने पर बजट की जरूरत है। एक एम्स की स्थापना में एक से डेढ़ हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, लेकिन प्रत्येक एम्स के प्रभावी संचालन के लिए सालाना दो हजार करोड़ रुपये चाहिए। इतना ही नहीं उन्हें एम्स दिल्ली जैसा बनाना है तो इसके लिए सालाना 4,000 करोड़ रुपये प्रति एम्स की जरूरत होगी।
देश में 22 एम्स विभिन्न चरणों में
दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार कुल 22 एम्स विभिन्न चरणों में हैं। पहले चरण में खुले छह एम्स भोपाल, जोधपुर, पटना, ऋषिकेश, भुवनेश्वर तथा रायपुर काफी हद तक आकार ले चुके हैं, लेकिन पूर्ण क्षमता से संचालन अभी भी बाकी है। जबकि नौ एम्स रायबरेली, गोरखपुर, मंगलागिरी, नागपुर, भठिंडा, बीबीनगर, कल्याणी, देवघर एवं बिलासपुर में ओपीडी सेवाएं और एमबीबीएस की कक्षाएं शुरू हुई हैं। तीन एम्स गुवाहाटी, राजकोट एवं जम्मू में एमबीबीएस कक्षाएं शुरू हुई हैं। चार एम्स मनेठी, दरभंगा, मदुरई तथा श्रीनगर निर्माणाधीन हैं या घोषित हो चुके हैं। जबकि मणिपुर एवं कर्नाटक में दो और प्रस्तावित हैं।
एम्स को पूरी तरह से संचालित करना कठिन
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, जितना आसान एम्स की घोषणा करना और उनका निर्माण करना है, उतना ही कठिन उन्हें पूरी तरह से संचालित करना है। मंत्रालय का आकलन है कि प्रत्येक एम्स को प्रभावी तरीके से चलाने के लिए सालाना दो हजार करोड़ रुपये के बजट की जरूरत है। अभी दिल्ली एम्स को छोड़कर बाकी सभी एम्स को प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत संचालित किया जाता है।
योजना के तहत वर्ष 2021-22 में सात हजार करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। योजना में एम्स के अलावा मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड करने का काम भी शामिल है। जबकि अकेले एम्स, नई दिल्ली का इस साल का बजट 3800 करोड़ रुपये है।
सरकार पर निर्भरता कम करने को मंथन
जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय में इस बात पर विचार-विमर्श चल रहा है कि कैसे नए एम्स की निर्भरता को सरकार पर कम किया जाए। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। तमाम प्रयासों के बावजूद नई दिल्ली एम्स का अपना राजस्व मुश्किल से सौ करोड़ भी पार नहीं कर पाया है। कई एम्स में शुल्क नई दिल्ली एम्स से भी ज्यादा हैं, जिसका मकसद यही है कि वह अपना राजस्व जुटाएं।
आयुष्मान भारत से आय बढ़ने की उम्मीद
सरकार को आयुष्मान भारत से नए एम्स की आय बढ़ने की उम्मीद है। आने वाले वर्षों में जब सभी 24 एम्स तैयार हो जाएंगे और पूरी क्षमता से चलेंगे तो सरकार को सालाना इनके संचालन के लिए 48 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। यह स्वास्थ्य मंत्रालय के मौजूदा बजट के दो तिहाई के बराबर है।
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