रायबरेली से राहुल लड़ें या प्रियंका, चुनाव में उतरें या छोड़ ही दें; कांग्रेस में गढ़ पर ही कई सवाल
रायबरेली और अमेठी सीटें भारत के चुनावी इतिहास में कांग्रेस के गढ़ के तौर पर दर्ज हैं। फिर भी 2024 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर कांग्रेस पसोपेश से गुजर रही है। कार्यकर्ता भी इससे भ्रम में हैंं।
रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीटें भारत के चुनावी इतिहास में कांग्रेस के गढ़ के तौर पर दर्ज हैं। फिर भी 2024 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर कांग्रेस पसोपेश से गुजर रही है। दोनों सीटों पर नामांकन की आखिरी तारीख 3 मई है, लेकिन अब तक कैंडिडेट्स का ऐलान नहीं हुआ है। राहुल गांधी अमेठी से लड़ा करते थे, जो 2019 में स्मृति इरानी के मुकाबले हार गए थे। अब वह अमेठी में फिर लौटेंगे या फिर रायबरेली सीट से दांव आजमाएंगे इसकी चर्चा है। रायबरेली सीट से सोनिया गांधी लड़ा करती थीं, लेकिन अब वह राज्यसभा चली गई हैं।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि भले ही नामांकन में दो दिन का ही वक्त बचा है, लेकिन पार्टी अब भी संशय में ही है। कांग्रेस नेताओं का ही एक खेमा मानता है कि राहुल गांधी को अमेठी की बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ना चाहिए। इस सीट से सोनिया की विरासत सीधे तौर पर राहुल के हाथ आनी चाहिए। वहीं कांग्रेसियों का ही दूसरा खेमा मानता है कि ऐसा करना गलत होगा। यदि अमेठी छोड़कर राहुल गांधी रायबरेली सीट पर आए तो भाजपा यह आरोप लगा सकती है कि वह हार के डर से आए हैं क्योंकि यहां से सोनिया गांधी जीतती रही हैं।
अब बात प्रियंका गांधी खेमे की करें तो उसमें भी दो राय हैं। एक गुट मान रहा है कि प्रियंका गांधी का राजनीतिक करियर अब तक ढंग से शुरू नहीं हो सका है। इसकी वजह यह है कि अब तक वह चुनावी राजनीति से दूर रही हैं। अब यह दूरी रायबरेली सीट से डेब्यू के साथ खत्म हो सकती है। वहीं दूसरा गुट प्रियंका गांधी के चुनाव न लड़ने के फायदे बता रहा है। इन लोगों का कहना है कि प्रियंका गांधी यदि खुद चुनाव नहीं लड़ेंगी तो उनके पास सभी जगहों पर कैंपेन का मौका होगा। इसके अलावा परिवारवाद के आरोपों से भी कांग्रेस बच सकेगी।
बता दें कि भाजपा ने भी अब तक रायबरेली सीट पर अपना कैंडिडेट तय नहीं किया है। अमेठी में तो स्मृति इरानी धुंधाधार कैंपेन कर रही हैं। इसके अलावा बीते 5 सालों में भी वह अमेठी में काफी सक्रिय थीं। लेकिन रायबरेली को लेकर भाजपा इसलिए रुकी हुई है ताकि पहले कांग्रेस के कैंडिडेट का नाम घोषित हो जाए। चर्चा है कि यदि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उतारा तो फिर महिला कार्ड ही चलते हुए भाजपा अदिति सिंह को मौका दे सकती है। यदि किसी अन्य उम्मीदवार को कांग्रेस उतारेगी तो फिर दिनेश सिंह या मनोज पांडेय जैसे किसी नेता को मौका मिल सकता है।