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नेहरू के जमाने से ही ऐसे कमजोर होने लगी थी कांग्रेस, गुलाम नबी आजाद ने बताई वजह

वरिष्ठ राजनेता गुलाम नबी आजाद ने बड़ा दावा है कि वह अब तक कामराज प्लान का मकसद नहीं समझ पाए हैं, लेकिन उन्होंने बताया कि जब इसकी वजह जब एक वरिष्ठ नेता से पता चली तो वह परेशान हो गए थे।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 5 April 2023 10:26 AM
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कांग्रेस के खिलाफ एक बार फिर हमलावर हुए वरिष्ठ राजनेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के पतन की कहानी बताई है। उन्होंने दावा किया है कि 'कामराज प्लान' या कामराज योजना के चलते ही 60 दशकों में कांग्रेस कमजोर हुई है। उन्होंने इसके तार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से भी जोड़े हैं। खास बात है कि आजाद ने यह बातें अपनी आत्मकथा में कही हैं, जो बुधवार को रिलीज होने जा रही है। उन्होंने बीते साल अगस्त में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।

क्या था कामराज प्लान?
आजाद ने अपनी आत्मकथा में बताया है कि कामराज प्लान के जरिए कांग्रेस के बड़े नेताओं को हटाकर उनकी जगह मनोनीत किए गए नेताओं को लाया जाना था। उन्होंने किताब में कामराज प्लान को कांग्रेस की पतन की शुरुआत बताया है। उन्होंने लिखा, 'साल 1963 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मद्रास के मुख्यमंत्री के कामराज जी ने प्रधानमंत्री नेहरू को केंद्रीय मंत्रालय और मुख्यमंत्री पदों से वरिष्ठ नेताओं के इस्तीफे लेने की सलाह दी और संगठन में काम करने के लिए कहने को कहा।'

उन्होंने आगे लिखा, 'इसका खासा स्तर प्रदेश स्तर पर हुआ, जहां बीजू पटनायक, एसके पाटिल, प्रताप सिंह कैरों, बख्शी गुलाम मोहम्मद समेत कई लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों ने पद छोड़ दिए। कामराज ने भी छोड़ा, लेकिन वरिष्ठ नेताओं के जाने का असर कांग्रेस पर राज्यों में काफी भारी पड़ा। तमिलनाडु में पार्टी 1967 में विधानसभा चुनाव हार गई और इसके साथ ही सीके अन्नादुरई के नेतृत्व में पहली क्षेत्रीय पार्टी का गठन हुआ।'

क्या था कारण?
आजाद का दावा है कि वह अब तक कामराज प्लान का मकसद नहीं समझ पाए हैं, लेकिन उन्होंने बताया कि जब इसकी वजह जब एक वरिष्ठ नेता से पता चली तो वह परेशान हो गए थे। हालांकि, उन्होंने किताब में कामराज प्लान का कारण नहीं बताया है। उन्होंने लिखा, 'कफी मनाने के बाद उन्होंने कामराज प्लान की असली वजह बताई। मैं उनके जवाब से हैरान था।'

उन्होंने लिखा, 'हालांकि, इस राज को मैं कभी नहीं बताऊंगा...। दुर्भाग्य से कामराज प्लान के बाद मुख्यमंत्रियों को नियुक्त करने का काम शुरू हो गया। मुख्यमंत्री बने लोगों को कामराज प्लान के तहत इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया और उनकी जगह मनोनीत नेताओं ने ली। इन नेताओं का कार्यकर्ताओं और मतदाताओं से ज्यादा झुकाव आलाकमान की ओर था।'

कांग्रेस के ताजा हाल
उन्होंने यह भी लिखा कि कांग्रेस में हो रहे पतन को देखने के लिए कोई भी नहीं है। आजाद लिखते हैं, 'आज दुख की बात यही है कि कांग्रेस में ऐसे कोई नेता नहीं हैं, जिनकी पूरे भारत में अपील हो। इसकी कमी यही है कि कांग्रेस ने चुनाव व्यवस्था को छोड़ दिया है और शीर्ष पद एक या दो लोगों के बनकर रह गए हैं...।'

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