Dheeraj Sahu IT Raids: क्या होगा धीरज साहू के 351 करोड़ रुपये का? आयकर विभाग लगाएगा इतनी पेनल्टी
Dheeraj Sahu IT Raids: अधिकारियों ने ओडिशा के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आयकर विभाग के खाते में 351 करोड़ रुपये जमा कर दिए हैं। खास बात है कि इसे प्रोविजन डिपोजिट या PD खाता भी कहा जाता है।
Dheeraj Sahu 351 Crore Rupees: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू से जुड़े ठिकानों पर 350 करोड़ रुपये से ज्यादा मिल चुके हैं। मंगलवार को 6वें दिन भी आयकर विभाग की कार्रवाई चलती रही। इस दौरान अधिकारियों को सोने और हीरे के जेवर भी मिले हैं। नकदी के लिहाज से इसे देश के इतिहास में किसी भी जांच एजेंसी की तरफ से सबसे बड़ी कार्रवाई बताया जा रहा है।
कर चोरी के आरोप और लेनदेन में अनियमितताओं के आरोपों के बाद 6 दिसंबर को आयकर विभाग ने साहू से जुड़े ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी। इस दौरान बड़े स्तर पर नकदी ओडिशा की बौध डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड से बरामद हुई है। खास बात है कि इतनी नकदी गिनने में 100 से ज्यादा आयकर अधिकारी और 40 से ज्यादा मशीनों की मदद ली गई थी।
कैश का क्या हुआ
अधिकारियों ने नकदी के साथ जरूरी दस्तावेजों, संपत्तियों के दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज, सोना और अन्य सामानों की भी जांच की है। अधिकारियों ने दो स्वतंत्र गवाहों की निगरानी में नकदी को जब्त किया है और इसे सील ककर दिया है। बाद में इसे एक बैंक ले जाया गया। रुपयों को आयकर विभाग की तरफ से संभाले जाने वाले खाते में जमा किया गया।
अधिकारियों ने ओडिशा के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आयकर विभाग के खाते में 351 करोड़ रुपये जमा कर दिए हैं। इसे प्रोविजन डिपोजिट या PD खाता भी कहा जाता है।
इन ठिकानों पर छापे
खबर है कि आयकर विभाग की तरफ से बौद्ध डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड, बलदेव साहू इन्फ्रा लिमिटेड, किशोर-विजय प्रसाद-विजय प्रसाद बेवरेज लिमिटेड और क्वालिटी बॉटलर्स जैसे ठिकानों पर कार्रवाई की गई है। अधिकारियों ने रांची, लोहरदगा, बलांगीर, संबलपुर, रायडीह इलाकों में दबिश दी थी।
अब आगे क्या
खबर है कि ऐसे में मामलों में जांच आयकर विभाग की इन्वेस्टिगेशन यूनिट करती है। यूनिट सभी जानकारियों और खातों से जुड़ी पुस्तकों की गहन छानबीन करती है और 60 दिनों के अंदर एक रिपोर्ट तैयार करती है। मूल्यांकन आदेश तैयार होने के बाद आरोपियों और संदिग्धों को आय का सोर्स बताने का मौका दिया जाता है।
खास बात है कि इस पूरी प्रक्रिया में 18 महीने लगते हैं। इस दौरान एजेंसी जांच के दौरान मिले सबूतों और संदिग्धों की तरफ से दिए गए सबूतों पर काम करती है। इसके बाद तय होता है कि जब्त किया गया कितना कैश गैर-कानूनी था।
कितनी पेनल्टी?
बेहिसाब नकदी पर टैक्स के तौर पर 30 फीसदी काटा जाएगा। साथ ही अवैध धन पर 60 फीसदी पेनल्टी लगेगी। खास बात है कि संदिग्धों को जब्त की गई राशि पर ब्याज भी देना होगा। पूरी प्रक्रिया के बाद संदिग्ध को कुछ रुपये वापस मिलने की भी संभावनाएं होती हैं। अगर ऐसा होता है, तो विभाग डिमांड ड्राफ्ट के जरिए रकम लौटा देता है।