तेलंगाना में बड़ी जीत के बाद भी असमंजस में कांग्रेस, मुख्यमंत्री पद के लिए नहीं बन रही बात; कहां फंसा पेच
तेलंगाना में कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद भी मुख्यमंत्री पद पर आम सहमति नहीं बन पाई है। बताया जा रहा है कि रेवंत रेड्डी के अलावा सीएम पद की रेस में दो और चेहरे शामिल हैं।
तेलंगाना में कांग्रेस ने बीआरएस से सत्ता की डोर छीन ली है लेकिन अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि राज्य में कौन मुख्यमंत्री कौन होगा। एनडीटीवी के सूत्रों के मुताबिक तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है। इस बार कांग्रेस की जीत का श्रेय राज्य में कांग्रेस चीफ रेवंत रेड्डी को दिया जा रहा है। कांग्रेस की जीत के बाद उन्हीं के नाम की चर्चा मुख्यमंत्री पद के लिए हो रही है। बताया जा रहा है कि 54 साल के रेवंत रेड्डी का विरोध करने वाले उनकी ही पार्टी में हैं। कई लोगों ने उनके मुख्यमंत्री बनाने पर आपत्ति दर्ज करवाई है।
रेवंत रेड्डी पर आम सहमति नहीं
सूत्रों का कहना है कि अब भी पार्टी में रेवंत रेड्डी ही मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद बने हुए हैं। उन्होंने कामारेड्डी सीट से भी केसीआर के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि इस सीट पर केसीआर और रेवंत दोनों की हार हुई और बीजेपी उम्मीदवार केवी रमाना ने जीत दर्ज की। राज्य में नियुक्त किए गए पर्यवेक्षकों के फीडबैक के बाद ही मुख्यमंत्री पद पर फैसला लिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर्यवेक्षकों से बात करने के बाद मुख्यमंत्री पद के नाम का ऐलान करेंगे। बता दें कि पर्यवेक्षक में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी शामिल हैं।
दो और चेहरे कतार में
जानकारी के मुताबिक ऑब्जर्वर मंगलवार को दिल्ली जाने वाले हैं। इसी बीच हैदराबाद में पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक हुई। उन्होंने एक प्रस्ताव पास किया जिसमें कहा गया कि खरगे ही नए मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे। बता दें कि कर्नाटक में रेवंत रेड्डी के अलावा भी दो नामों की भी चर्चा है। पहले मल्लू भट्टी विक्रमार्का है जों कि एक दलित नेता हैं। प्रचार के दौरान भी वह आगे रहते थे। चुनाव से पहले उन्होंने राजद्य में 1400 किलोमीटर की पदयात्रा की थी। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की जीत में उनका भी बड़ा योगदान है।
दूसरा नाम उत्तम कुमार रेड्डी का है जो कि पूर्व एयरफोर्स पायलट हैं। इसके अलावा वह 6 बार के विधायक रह चुके हैं। रेवंत रेड्डी के आने तक वह तेलंगाना में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीचमें भी उनकी लोकप्रियता है।
पार्टी में किसी तरह का विद्रोह रोकने के लिए भी उत्तम कुमार रेड्डी को कोई पद देना जरूरी हो जाता है क्योंकि रेवंत रेड्डी को अभी पार्टी में आए 10 साल का भी वक्त नहीं हुआ है। इससे पहले वह टीडीपी में थे। वहीं उनका बैकग्राउंट भाजपा का भी रहा है।वहीं इस बार मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को झटका लगा है इसलिए वह नहीं चाहती की तेलंगाना की जीत के बाद पार्टी में किसी तरह की फूट हो। बता दें कि तेलंगाना में कांग्रेस ने 119 में से 64 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं बीआरएस 39 सीटें ही जीत पाई। भाजपा के खाते में आठ सीटें गई हैं।