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काला दमा और अस्थमा रोगियों के लिए खतरनाक है ठंड, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय

दिल्ली एम्स के सांस रोग विभाग के डॉक्टर करन मदान का कहना है कि काला दमा को सीओपीडी कहते हैं, जो एक क्रॉनिक फेफड़ों की बीमारी है। इसमें सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है।

Praveen Sharma नई दिल्ली | हिन्दुस्तान, Mon, 9 Jan 2023 05:41 AM
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काला दमा और अस्थमा रोगियों के लिए खतरनाक है ठंड, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय

ठंड में प्रदूषण और कम तापमान काला दमा व अस्थमा मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है। डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी से पीड़ित अधिकतर रोगी सालभर बिना परेशानी के रहते हैं, लेकिन सर्दियों के चार महीनों (नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी) में अस्पतालों में इनकी संख्या 30 फीसदी तक बढ़ जाती है। वर्तमान में ठंड बढ़ने से ओपीडी में सांस की इन बीमारियों से परेशान मरीजों की संख्या 20 फीसदी तक बढ़ गई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सांस रोग विभाग के डॉक्टर करन मदान का कहना है कि काला दमा को सीओपीडी कहते हैं, जो एक क्रॉनिक फेफड़ों की बीमारी है। इसमें सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है। यह सूजन निरंतर बढ़ती रहती है, जिससे आगे चलकर फेफड़े छलनी हो जाते हैं। इसे एम्फायसेमा कहते हैं। यह बीमारी सांस में रुकावट से शुरू होती है और धीरे-धीरे सांस लेने में मुश्किल होने लगती है।

अस्थमा अटैक में ये उपाय करें : आकाश अस्पताल के सांस रोग विभाग के डॉक्टर अक्षय बुधराजा के मुताबिक, जब भी आपको अस्थमा अटैक आए तो सबसे पहले बिना देरी किए डॉक्टर से परामर्श लें और जरूरत होने पर दवाई लें। इनहेलर का इस्तेमाल करें। अगर लेटे हैं तो बैठे या खड़े हो जाएं और लंबी सांस लें। कपड़ों को ढीला करें और शांत रहने का प्रयास करें। कॉपी, सूप जैसी गर्म चीजों का सेवन करें। इससे सांस लेने की नलियां कुछ घंटों के लिए खुल जाएंगी। इसके साथ ही बिना देरी किए किसी डॉक्टर से संपर्क करें।

ये हैं काला दमा के लक्षण

● तेजी से सांस लेना।

● बलगम के साथ खांसी आना।

● सीने में इंफेक्शन होना।

● सीने में जकड़न

● लगातार कोल्ड, फ्लू रहना।

● कमजोरी रहना।

ऐसे दूर करें सांस की दिक्कतें

● डॉक्टर से सलाह लेकर बच्चों और बुजुर्गों को फ्लू का टीका जरूर लगवाएं।

● हमेशा गर्म कपड़े पहनें और बाहर निकलने पर नाक और मुंह को जरूर कवर करें।

● अस्थमा और काला दमा पीड़ितों के कमरे में अंदर धूपबत्ती न जलाएं। एक धूपबत्ती 100 सिगरेट पीने के बराबर नुकसान कर सकती है।

● घरों में अंगीठी, हीटर आदि के प्रदूषण से काला दमा के मरीज की तबीयत बिगड़ सकती है।

● काला दमा से पीड़ित लोगों को सप्ताह में 3 से 4 बार 45-45 मिनट के लिए व्यायाम बेहद आवश्यक है।

● बीड़ी-सिगरेट पीने से काला दमा ज्यादा होता है।

ठंडी और शुष्क हवा बिगाड़ती है सेहत

डॉक्टर अक्षय बुधराजा के मुताबिक, ठंडी हवा शुष्क ज्यादा होती है और उसमें नमी बहुत कम होती है। जब अस्थमा या काला दमा से पीड़ित मरीज हवा में सांस लेता है तो वायु मार्ग को खुला रखने का प्रयास करते समय अंदर की मांसपेशियां ऐंठने लगती हैं, जिसके परिणामस्वरूप घरघराहट, सांस की तकलीफ और खांसी होती है। रोगी को घबराना नहीं चाहिए और बेहद शांति के साथ रहे। तत्काल चिकित्सक की सलाह लें।

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