मोबाइल गेम छोड़ गणेश उत्सव में रंग भर रहे इस गांव के बच्चे, करते हैं 'घूमत आरती'
दक्षिण गोवा के एक गांव के बच्चे घूमत आरती सीखते हैं। इन दिनों गणेश उत्सव के दौरान वे कार्यक्रमोें में रंग भर रहे हैं। घूमत आरती पारंपरिक गीतों का एक रूप है जिसे 10 दिन उत्सव के दौरान गाया जाता है।
आजकल ज्यादातर बच्चे मोबाइल में गेम खेलने के आगे हर काम भूल जाते हैं। लेकिन गोवा में कई ऐसे बच्चे हैं जो कि मोबाइल छोड़कर यहां का पारंपरिक वाद्ययंत्र सीख रहे हैं और गणेश उत्सव के दौरान बहुत ही ऐक्टिव हैं। इस वाद्ययंत्र का नाम है 'घूमत'। यह मिट्टी के बर्तन का बना होता है। इन्हीं बच्चों में दो साल का निश नितेश नाइक रोज नियमित रूप से मंदिर जाता है। दक्षिण गोवा के शिरोडा गांव के बच्चे घूमत आरती सीखते हैं। बता दें कि घूमत आरती कुछ पारंपरिक गीत होते हैं जो कि 10 दिन के गणेश उत्सव के दौरान गाए जाते हैं।
गांव के एक गायक राहुल कृष्णानंद लोटलीकर ने इन बच्चों को संगीत सिखाने का बीड़ा उठाया है। एक ग्रामीण मयूर नायक ने बताया दूसरे लोगों की मदद से बच्चों में घुमत के प्रति रुचि पैदा की गई। अब ये बच्चे मोबाइल में व्यस्त रहने की जगह पर संगीत सीखते हैं और गणेश उत्सव के दौरान जोर-शोर से कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं।
मयूर का भतीजा निश इन सभी बच्चों में सबसे छोटा है। वह केवल दो साल का है। मयूर ने बताया कि जब वह घर में बैठकर घूमत बजाते थे तो निश देखा करता था। धीरे-धीरे उसे भी यह अच्छा लगने लगा। इसके बाद मयूर ने इसका ऐडमिशन घूमत क्लास में करवा दिया। अब वह रोज नियमति तौर पर यहां पहुंचता है। इस मिशन में लोटलीकर का सहयोग करने वाले भी लोग सामने आए हैं। बता दें कि बीते कुछ सालों से घूमत आरती का प्रचलन बंद हो रहा था लेकिन इन बच्चों की वजह से परंपरा फिर से शुरू हो गई है।
गांव के रहने वाले दीपक सावरदेकर ने लोटलीकर से घूमत आरती सिखाने का निवेदन किया था। इसके बाद उन्होंने क्लास शुरू कर दी। उन्होंने कहा, जून के दूसरे सप्ताह से यह क्लास शुरू हुई है। पहले तो केवल सात-आठ बच्चे ही आते ते लेकिन बाद में संख्या बढ़ने लगी. अब लोटलीकर की क्लास में 24 बच्चे हैं। इनमें बराबर लड़के और लड़कियां हैं।