बदलती हैं बार-बार डीपी तो हो जाएं सावधान, गोवा पुलिस ने किया महिलाओं को आगाह; हो सकती हैं ये परेशानियां
गोवा पुलिस ने महिलाओं को साइबर अपराधियों से सावधान रहने के लिए बार-बार डीपी न बदलने के की सलाह दी है। पुलिस ने कहा कि साइबर क्राइम से जुड़े शातिर लोग ऐसा करने वालों की तलाश में रहते हैं।
सोशल साइट्स पर बार-बार डिस्प्ले पिक्चर (डीपी) या प्रोफाइल पिक्चर बदलने से आप साइबर अपराध का शिकार हो सकते हैं। बार-बार डीपी बदलने वालों को साइबर अपराधी टारगेट कर सकते हैं। गोवा पुलिस ने महिलाओं को साइबर अपराधियों से सावधान रहने के लिए बार-बार डीपी न बदलने की सलाह दी है। पुलिस अधीक्षक सुनीता सावंत ने कहा कि साइबर क्राइम से जुड़े शातिर लोग ऐसा करने वालों की तलाश में रहते हैं।
महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध के मामलों में तेजी से वृद्धि के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए अधिकारी ने कहा कि पिछले साल की तुलना में मामले दोगुने से अधिक हो गए हैं। जिसका मुख्य कारण महिलाओं की तरफ से सोशल मीडिया पर खुद को असुरक्षित बनाना और ब्लैकमेलर्स और अन्य अपराधियों का शिकार बनना है।
पुलिस अधीक्षक सुनीता सावंत ने कहा, "जब हम इंटरनेट। फेसबुक। इंस्टाग्राम पर होते हैं तो हमें यथासंभव कम तस्वीरें अपलोड करनी चाहिए और खुद को उजागर नहीं करना चाहिए। हमें अपनी डीपी बार-बार नहीं बदलनी चाहिए। जालसाज सबसे पहले इस प्रकार के अकाउंट्स को निशाना बनाते हैं।"
सुनीता सावंत ने कहा, "इससे आपको बदनामी और उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ सकता है। एक रील अपलोड करके आप खुद को एक हजार या दो हजार लोगों के सामने उजागर कर रहे हैं और इस प्रकार के शिकार हो सकते हैं... व्यक्तिगत तस्वीरें। पारिवारिक तस्वीरें यथासंभव कम अपलोड की जानी चाहिए।"
गोवा पुलिस ने 2022 में महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध के 90 मामले दर्ज किए और इस साल अब तक 52 शिकायतें दर्ज कीं। जो 2021 में दर्ज किए गए 38 मामलों से दोगुने से भी अधिक है।
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन अपराधियों ने पुलिसकर्मियों के बच्चों को भी नहीं बख्शा है। सुनीता सावंत ने कहा, "अभी चार दिन पहले हमें एक लड़की द्वारा शिकायत मिली थी कि फेस-इट इंस्टाग्राम अकाउंट किसी और ने खोला था और उस लड़की की रील और तस्वीरें अपलोड करना शुरू कर दिया था जैसे कि यह दिखाने के लिए कि वह खुद इन रीलों और तस्वीरों को अपलोड कर रही थी और उसे बदनाम करना और परेशान करना शुरू कर दिया। साइबर क्राइम ने अपराध दर्ज कर लिया है और मामले की जांच कर रही है।"
राज्य पुलिस साइबर अपराधियों पर नकेल कसने में तभी सफल हो पाएगी जब अपराधी स्थानीय हो। मगर उसने स्वीकार किया है कि अगर अपराधी देश के बाहर रहते हैं। तो उन्हें ट्रैक करना तो दूर उन्हें न्याय तक पहुंचाना भी मुश्किल है।