Hindi Newsदेश न्यूज़Centre says will leave validity of Section 377 to the wisdom of the Supreme Court

क्या समलैंगिकता क्राइम है? केन्द्र सरकार ने कहा- यह सुप्रीम कोर्ट के विवेक पर निर्भर

भारत में करीब 150 वर्षों से समलैंगिकता पर प्रतिबंध है। लेकिन, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ को यह संकेत दिए हैं कि वह इस पर कोई फैसला नहीं करेगी। सरकार की ओर से पक्ष रख रहे वकील ने...

लाइव हिन्दुस्तान टीम नई दिल्ली।Wed, 11 July 2018 12:41 PM
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भारत में करीब 150 वर्षों से समलैंगिकता पर प्रतिबंध है। लेकिन, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ को यह संकेत दिए हैं कि वह इस पर कोई फैसला नहीं करेगी। सरकार की ओर से पक्ष रख रहे वकील ने कहा- “हम इस पर फैसला कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं।”

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय वरिष्ठ जज की पीठ उन याचिकों की सुनवाई कर रही है जिसमें ब्रिटिश कालीन कानून आईपीसी की धारा 377 को खत्म करने की मांग की गई है, जो समलैंगिकता को अपराध मानता है। ऐसा करने पर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है।
  
समलैंगिकता मामले पर सुनवाई के दूसरे दिन सरकारी वकील तुषार मेहता ने कहा- “हम इस पर फैसला कोर्ट के ऊपर छोड़ते हैं।” मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा- “जब आपने यह हमारे ऊपर छोड़ा है कि धारा 377 अपराध है या नहीं, तो अब ये तय हम करेंगे।”
 
पीठ ने इससे पहले मंगलवार को कहा था कि वह केवल इस मामले में 2013 के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करने के अपने फैसले का परीक्षण करेंगे। उस वक्त हाईकोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध माननेवाला कानून असंवैधानिक करार दिया था। 

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