brajesh pathak story how close aide of mayawati becomes deputy of yogi adityanath - India Hindi News ब्रजेश पाठक की कहानी: कभी योगी आदित्यनाथ के 'जानी दुश्मन' के थे करीबी, कैसे- भाजपा सरकार में बने डिप्टी सीएम, India Hindi News - Hindustan
Hindi Newsदेश Newsbrajesh pathak story how close aide of mayawati becomes deputy of yogi adityanath - India Hindi News

ब्रजेश पाठक की कहानी: कभी योगी आदित्यनाथ के 'जानी दुश्मन' के थे करीबी, कैसे- भाजपा सरकार में बने डिप्टी सीएम

खांटी भाजपाई नेताओं को पीछे छोड़कर उनका डिप्टी सीएम बनना चर्चा का विषय बन गया है। ब्रजेश पाठक को लेकर कहा जाता है कि वह हवा के रुख को अच्छी तरह से भांपने वाले नेता हैं। कभी कांग्रेस में रहे ब्रजेश पाठक ने 2016 में बसपा को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 27 March 2022 09:11 AM
share Share
Follow Us on
ब्रजेश पाठक की कहानी: कभी योगी आदित्यनाथ के 'जानी दुश्मन' के थे करीबी, कैसे- भाजपा सरकार में बने डिप्टी सीएम

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ दूसरी बार लगातार सीएम बने हैं, लेकिन सरकार में कई चेहरे बदले गए हैं। 22 मंत्रियों को हटाया गया है और डिप्टी सीएम रहे दिनेश शर्मा की जगह ब्रजेश पाठक को लाया गया है। योगी आदित्यनाथ की नई सरकार में उनकी ही सबसे ज्यादा चर्चा भी हो रही है, इसकी वजह यह है कि ब्रजेश पाठक संघ या भाजपा के बैकग्राउंड के नेता नहीं हैं। ऐसे में तमाम खांटी भाजपाई नेताओं को पीछे छोड़कर उनका डिप्टी सीएम बनना चर्चा का विषय बन गया है। ब्रजेश पाठक को लेकर कहा जाता है कि वह हवा के रुख को अच्छी तरह से भांपने वाले नेता हैं। कभी कांग्रेस में रहे ब्रजेश पाठक ने 2016 में बसपा को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। अब महज 6 साल ही बीते हैं और वह प्रदेश के डिप्टी सीएम बन गए हैं। 

दिलचस्प बात यह है कि एक दौर में वह योगी आदित्यनाथ के कट्टर प्रतिद्वंद्वी कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय तिवारी के करीबी रहे हैं। 1989 में वह लखनऊ यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष बने थे और फिर 1990 में छात्र संघ अध्यक्ष बन गए थे। कहा जाता है कि इस चुनाव में उनकी पूरी मदद विनय तिवारी ने ही की थी। छात्र जीवन में और फिर राजनीति के शुरुआती दौर में दोनों बेहद करीबी दोस्त थे। विनय तिवारी ने इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा कि शायद ब्रजेश पाठक ऐसे पहले नेता हैं, जो भाजपा के बैकग्राउंड से नहीं आते हैं और इतना बड़ा पद हासिल किया है। वह कहते हैं कि भले ही ब्रजेश पाठक लोकप्रिय नहीं हैं, लेकिन संगठन में अच्छे हैं। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि वह हमेशा एक अच्छे मौसम वैज्ञानिक रहे हैं। 
 
हरिशंकर तिवारी के परिवार की नहीं रही पहली जैसी हैसियत

ब्रजेश पाठक और विनय तिवारी एक साथ ही बसपा से जुड़े थे। विनय तिवारी ने इस चुनाव के ठीक पहले ही सपा का दामन थाम लिया था। कभी गोरखपुर और उसके आसपास के जिलों में ब्राह्मण राजनीति का चेहरा रहे हरिशंकर तिवारी औैर उनके परिवार की साख अब पहले जैसी नहीं रही है। वहीं ब्रजेश पाठक को ब्राह्मण चेहरे के तौर पर ही योगी कैबिनेट में शामिल कर लिया गया है। इससे पहले 2017 में वह उनकी ही सरकार में कानून मंत्री भी बनाए गए थे। हरदोई के मल्लावां के रहने वाले ब्रजेश पाठक के पिता एक होम्योपैथिक डॉक्टर थे। यहीं से उन्होंने 2002 में पहला विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन महज 150 वोटों के अंतर से हार गए थे। 

मायावती के करीबी नेताओं में शामिल थे ब्रजेश पाठक

इसके बाद उन्होंने हवा का रुख पहचाना और बसपा में शामिल हो गए। जिससे उन्होंने उन्नाव लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर दिल्ली पहुंच गए। उस दौर में मायावती बहुजन से आगे निकलकर सर्वजन की बातें करनी लगी थीं। इस जीत के बाद वह मायावती के करीबी नेताओं में शामिल हो गए थे। 2009 में वह राज्यसभा भी गए, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्हें एक बार फिर समझ आ गया था कि बसपा के दिन भी अब लद गए हैं। फिर वह 2016 में भाजपा में शामिल हो गए।  

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।