'लोकतंत्र सिर्फ एक बार मरा था...' सोनिया गांधी के लेख पर भाजपा का पलटवार
सोनिया गांधी ने अंग्रेजी अखबार ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित लेख में कहा कि सरकार भारतीय लोकतंत्र के तीनों स्तंभों... विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को व्यवस्थित तरीके से खत्म करने का काम कर रही है।

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और किरेन रिजिजू ने मंगलवार को एक राष्ट्रीय दैनिक अखबार में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा लिखे गए संपादकीय को लेकर सोनिया गांधी पर निशाना साधा। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने अंग्रेजी के प्रमुख अखबार ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित एक लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी पर 'भारत के लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने' का आरोप लगाया था। उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी को चेतावनी दी कि "आवाज दबाने से भारत की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता।"
इस पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने मंगलवार को सोनिया गांधी पर पलटवार किया। उन्होंने सोनिया के लेख को ‘उच्च स्तरीय अनैतिकता वाला भ्रामक बयान’ करार दिया। रिजिजू का यह तंज कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर ‘हर शक्ति का दुरुपयोग’ करने संबंधी आरोप लगाए जाने के बाद आया।
1975 में मरा था भारतीय लोकतंत्र- रिजिजू
रिजिजू ने ट्विटर पर कहा, ‘‘श्रीमती सोनिया गांधी लोकतंत्र के बारे में व्याख्यान दे रही हैं? कांग्रेस पार्टी की ओर से न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बारे में बात करना उच्च स्तरीय अनैतिकता वाला भ्रामक बयान है।’’ रिजिजू ने कांग्रेस और गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए 'कुछ तत्वों' और 'व्यक्तियों' पर हमला करने वाले विभिन्न भाषणों के अंश साझा किए। हालांकि उन्होंने दोनों में से किसी का भी नाम नहीं लिया। उन्होंने ऐसे ही एक भाषण में कहा, "भारतीय लोकतंत्र केवल एक बार मरा था… 1975 में … और उसके बाद कभी नहीं।”
कुछ लोग सत्ता को दैवीय अधिकार समझेत हैं- रिजिजू
उन्होंने एक भाषण में कहा, "चुनी हुई सरकार से सभी सवाल पूछें, लेकिन अपने देश पर सवाल न उठाएं... अपने देश के खिलाफ न जाएं। समस्या तब आती है जब लोगों का एक समूह मानता है कि उनके पास शासन करने का दैवीय अधिकार है... अगर कोई परिवार या व्यक्ति सोच रहा है कि वे सामान्य नागरिकों से ऊपर हैं और यह कि उन्हें विशेषाधिकार मिले हुए हैं … तो फिर पूरी सोच एक अलग स्तर पर चली जाती है।” लोकसभा से राहुल गांधी की अयोग्यता पर तंज कसते हुए रिजिजू ने कहा, "मैं बहुत करीब से देख रहा हूं कि संसद के अंदर और बाहर जो सबसे ज्यादा बोलता है, वह कह रहा है कि वह बोल नहीं सकता।"
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस की निंदा की और संपादकीय को 'मोदी के प्रति नफरत का उत्कृष्ट उदाहरण' बताया। प्रधान ने ट्वीट किया, "कांग्रेस नेतृत्व को अपने भ्रम से बाहर आना चाहिए और जमीनी हकीकत के प्रति जागना चाहिए- भारत का लोकतंत्र फल-फूल रहा है, लोग पीएम मोदी के इरादों को जानते हैं और इसलिए वे उन पर विश्वास करते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं।"
सोनिया गांधी ने अपने संपादकीय में क्या कहा?
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने अंग्रेजी के प्रमुख अखबार ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित एक लेख में कहा कि सरकार भारतीय लोकतंत्र के तीनों स्तंभों... विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को व्यवस्थित तरीके से खत्म करने का काम कर रही है और उसके कदम लोकतंत्र के प्रति 'गहरे तिरस्कार' को दर्शाते हैं। विपक्षी एकजुटता की पैरवी करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी संविधान की रक्षा के लिए समान विचार वाले सभी दलों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने अंग्रेजी दैनिक ‘‘द हिंदू’’ में लिखे एक लेख में कहा, ‘‘ लोकतंत्र और लोकतांत्रिक जवाबदेही के प्रति सरकार की नफरत परेशान करने वाली है। भारत के लोगों को पता चल गया है कि जब बात आज के हालात को समझने की आती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कदम उनके शब्दों से कहीं ज्यादा तेज स्वर में स्थिति को बयां करते हैं। ’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘पिछले कुछ महीनों में हमने देखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार लोकतंत्र और लोकतांत्रिक जवाबदेही के प्रति भीतर तक घर कर गई अपनी नफरत का प्रदर्शन करते हुए उठाए गए कदमों के जरिए भारतीय लोकतंत्र के तीनों स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को ध्वस्त कर रही है।’’
उन्होंने कहा ‘‘हमारी लड़ाई लोगों की आवाज की रक्षा करने की है। कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल के तौर पर अपने कर्तव्य को समझती है और समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है ।’’
कांग्रेस की शीर्ष नेता के मुताबिक, ‘‘संसद के बीते सत्र के दौरान हमने देखा कि सरकार की रणनीति ने संसद को बाधित किया, विपक्ष को बेरोजगारी, महंगाई, सामाजिक विभाजन जैसे जनता से जुड़े मुद्दे उठाने से रोका, बजट, अडाणी घोटाला और कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने से रोका।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद की कार्यवाही से भाषणों के अंश हटाने, संसद सदस्यों पर हमला करने और बहुत तेज गति से उन्हें सदस्यता से अयोग्य ठहराने जैसे कई अप्रत्याशित कदम उठाए। उनका इशारा राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने की ओर था।
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